जल्द आ सकता है सूक्ष्म शैवालों से विकसित बायोडीजल, सभी विकल्पों पर तेजी से काम कर रहे हमारे वैज्ञानिक
अनिवार्य प्रश्न । संवाद
नई दिल्ली। जीवाश्म ईंधन का भण्डार निरंतर कम हो रहा है। भारत के विशाल समुद्री वातावरण में रहने वाले शैवाल (एल्गी) की ईंधन क्षमता पर विशेष खोज व शोध नहीं किये गए हैं। समुद्री मूल के सूक्ष्म शैवाल से किफायती बायोडीजल बनाना जल्द ही वास्तविकता बन सकता है। इसके लिए एक वैज्ञानिक धन्यवाद के पात्र हैं, जो बायोडीजल उत्पादन के लिए सूक्ष्म शैवाल में लिपिड संचय को बढ़ाने हेतु जैव-तकनीकी अध्ययन और जरूरी उपकरणों पर काम कर रहे हैं।
तेजी से कम हो रहे पेट्रोलियम आधारित ईंधन को देखते हुए,तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डॉ टी मथिमनी ने नवीकरणीय और सतत स्रोतों से वैकल्पिक ईंधन की खोज शुरू की। हाल ही में विभिन्न प्रकार के जैव ईंधन का पता लगाया गया है और जैव ईंधन के उत्पादन के लिए सूक्ष्म शैवाल के उपयोग पर दृढ़ता से विचार किया गया है क्योंकि इसमें अन्य जैव ईंधन भण्डार की तुलना में कई फायदे हैं। टिकाऊ ईंधन के इस मार्ग ने डॉ टी मथिमनी को प्रेरित किया।
आर्थिक बायोडीजल उत्पादन के लिए समुद्री सूक्ष्म शैवाल में ट्राईसिलग्लिसरॉल सामग्री को बढ़ाने की तकनीकों पर उनके प्रस्तुतिकरण को भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित “इनोवेशन इन साइंस परसूट फॉर इंसपायर्ड रिसर्च” (आईएनएसपीआईआरई)संकाय फैलोशिप के लिए चुना गया।
इस पुरस्कार से समर्थित शोध को ‘केमोस्फियर’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। डॉ. टी मथिमनी और उनकी टीम ने तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों से समुद्री सूक्ष्म शैवाल से विभिन्न प्रजातियों को अलग किया है, जैसे पिकोक्लोरम एसपी, स्केनडेसमस एसपी, क्लोरैला एसपी आदि। बायोडीजल उत्पादन के लिए कुल जैव कार्बन सामग्री और ट्राईसिलेग्लिसराइड्स (टीएजी) सामग्री के संदर्भ में उनकी क्षमता के लिए इन प्रजातियों को अलग किया गया है।
टीम अब जैव-प्रौद्योगिकीय क्षमताओं और एक-दूसरे का उपयोग करने लायक (स्विचअबल) भिन्न गुणों वाले विलायक (एसपीएस) प्रणाली पर आधारित लिपिड निष्कर्षण के लिए अन्य सूक्ष्मजीव उम्मीदवारों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। एसपीएस एक ऊर्जा-कुशल स्विचअबल विलायक है जिसे थर्मल प्रक्रियाओं की अनुपस्थिति में भी प्राप्त किया जा सकता है और पर्यावरण पर बिना किसी प्रभाव के शैवाल लिपिड निष्कर्षण के लिए हरे रंग के विलायक के रूप में इसका पुन: उपयोग किया जा सकता है। बायोडीजल उत्पादन बढ़ाने में सहायक टीएजी संचय को बढ़ाने के लिए मेटाबोलिक इंजीनियरिंग दृष्टिकोणों का उपयोग किया जा सकता है, और चुंबकीय नैनोकंपोजिट (एमएनसी) का उपयोग शैवाल से पानी की मात्रा को अलग करने के विभिन्न चक्रों के लिए किया जा सकता है। बायोडीजल उत्पादन लागत को कम करने के लिए इसके उपचार संस्कृति निलंबन का पुन: उपयोग किया जा सकता है। उनके अध्ययन में बायोडीजल के सतत और किफायती उत्पादन के लिए इन तीन दृष्टिकोणों पर विचार किया जाएगा।
समूह एक रोडमैप तैयार करेगा जिसके द्वारा वाणिज्यिक स्तर पर बायोडीजल का उत्पादन किया जा सकेगा और इसे ऊर्जा बाजार में निरंतर उपलब्ध कराया जा सकेगा।