सितम्बर से शुरू होगा ‘ हुनर हाट’
अनिवार्य प्रश्न । कार्यालय संवाद
लगभग 5 महीनों के बाद दस्तकारों-शिल्पकारों का ’सशक्तिकरण एक्सचेंज’
पहले से ज्यादा दस्तकारों की भागीदारी के साथ पुनः शुरू ‘हुनर हाट’ का थीम ‘लोकल से ग्लोबल’
दिल्ली। कोरोना की चुनौतियों के चलते लगभग 5 महीनों के बाद दस्तकारों-शिल्पकारों का ‘सशक्तिकरण एक्सचेंज’, ‘हुनर हाट’ सितम्बर 2020 से ‘लोकल से ग्लोबल’ थीम एवं पहले से ज्यादा दस्तकारों की भागीदारी के साथ पुनः शुरू होने जा रहा है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने 23 मई को यहाँ बताया कि पिछले पांच वर्षों में 5 लाख से ज्यादा भारतीय दस्तकारों, शिल्पकारों को रोजगार-रोजगार के अवसर प्रदान करने वाले ‘हुनर हाट’ के दुर्लभ हस्तनिर्मित स्वदेशी सामान लोगों में काफी लोकप्रिय हुए हैं। देश के दूर-दराज के क्षेत्रों के दस्तकारों, शिल्पकारों, कारीगरों, हुनर के उस्तादों को मौका-मार्किट देने वाला ष्हुनर हाटष् स्वदेशी हस्तनिर्मित उत्पादनों का ’प्रामाणिक ब्रांड’ बन गया है।
ज्ञात हो कि फरवरी 2020 में इंडिया गेट पर आयोजित ‘हुनर हाट’ में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अचानक पहुँच कर दस्तकारों-शिल्पकारों की हौसलाअफजाई की थी, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ‘मन की बात’ में भी ‘हुनर हाट’ के स्वदेशी उत्पादनों और दस्तकारों के काम की सराहना करते हुए कहा था कि ‘कुछ दिनों पहले, मैंने, दिल्ली के हुनर हाट में एक छोटी सी जगह में, हमारे देश की विशालता, संस्कृति, परम्पराओं, खानपान और जज्बातों की विविधताओं के दर्शन किये। समूचे भारत की कला और संस्कृति की झलक, वाकई अनोखी ही थी और इनके पीछे, शिल्पकारों की साधना, लगन और अपने हुनर के प्रति प्रेम की कहानियाँ भी, बहुत ही, प्रेरणादायक होती हैं।’
प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि, ‘हुनर हाट’, कला के प्रदर्शन के लिए एक मंच तो है ही, साथ-ही-साथ, यह, लोगों के सपनों को भी पंख दे रहा है। एक जगह है जहां इस देश की विविधता को अनदेखा करना असंभव ही है। शिल्पकला तो है ही है, साथ-साथ, हमारे खान-पान की विविधता भी है। वहां एक ही लाइन में इडली-डोसा, छोले-भटूरे, दाल-बाटी, खमन-खांडवी, ना जाने क्या-क्या था। मैंने, खुद भी वहां बिहार के स्वादिष्ट लिट्टी-चोखे का आनन्द लिया, भरपूर आनंद लिया। भारत के हर हिस्से में ऐसे मेले, प्रदर्शिनियों का आयोजन होता रहता है। भारत को जानने के लिए, भारत को अनुभव के लिए, जब भी मौका मिले, जरुर जाना चाहिए। ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ को, जी-भर जीने का, ये अवसर बन जाता है। आप ना सिर्फ देश की कला और संस्कृति से जुड़ेंगे, बल्कि आप देश के मेहनती कारीगरों की, विशेषकर, महिलाओं की समृद्धि में भी अपना योगदान दे सकेंगे।’
श्री नकवी ने बताया कि कोरोना के चलते देशव्यापी लॉकडाउन में मिले समय का सदुपयोग कर दस्तकारों, कारीगरों ने अगले ‘हुनर हाट’ की उम्मीद में बड़ी तादाद में अपने हस्तनिर्मित दुर्लभ स्वदेशी सामग्री को तैयार किया है जिसे ये दस्तकार, कारीगर अगले ‘हुनर हाट’ में प्रदर्शनी एवं बिक्री के लिए लाएंगे।
श्री नकवी ने बताया कि ष्हुनर हाटष् में सोशल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई, सैनिटाईजेशन, मास्क आदि की विशेष व्यवस्था की जाएगी, साथ ही ‘जान भी जहान भी’ पवेलियन होगा जहाँ लोगो को ‘पैनिक नहीं प्रीकॉशन’ की थीम पर जागरूकता पैदा करने वाली जानकारी भी दी जायेगी।
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा अभी तक देश के विभिन्न भागों में दो दर्जन से अधिक ‘हुनर हाट’ का आयोजन किया जा चुका है, जिसमें लाखों दस्तकारों, शिल्पकारों, कारीगरों को रोजगार-रोजगार के अवसर मिले हैं। आने वाले दिनों में चंडीगढ़, दिल्ली, प्रयागराज, भोपाल, जयपुर, हैदराबाद, मुंबई, गुरुग्राम, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, देहरादून, पटना, नागपुर, रायपुर, पुडुचेर्री, अमृतसर, जम्मू, शिमला, गोवा, कोच्चि, गुवाहाटी, भुबनेश्वर, अजमेर, अहमदाबाद, इंदौर, रांची, लखनऊ आदि स्थानों पर ‘हुनर हाट’ का आयोजन किया जायेगा।