माफिया मुख्तार अंसारी का निधन
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में बंद अंसारी को 28 मार्च की रात रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज, तिन्द्वारा में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मुख्तार अंसारी, जिन्हें मऊ का बाहुबली भी कहा जाता था, उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मऊ से विधायक थे। उनके खिलाफ हत्या, अपहरण, धमकी, और भ्रष्टाचार सहित कई आपराधिक मामले दर्ज थे। वह 2005 से गैंगस्टर एक्ट के तहत गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में जेल में थे। अंसारी अपनी राजनीतिक शक्ति और आपराधिक गतिविधियों के लिए कुख्यात थे।
28 मार्च की रात, अंसारी को सीने में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, अंसारी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई। उनके परिवार ने जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि अंसारी को जेल में उचित चिकित्सा सुविधाएं नहीं दी गईं। जेल प्रशासन ने इन आरोपों का खंडन किया है। मुख्तार अंसारी के निधन पर राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ लोगों ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया, जबकि अन्य ने उनके आपराधिक इतिहास की आलोचना की। उत्तर प्रदेश सरकार ने अंसारी के निधन पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी।
मुख्तार अंसारी का जीवन विवादों से भरा रहा। उन्हें एक क्रूर माफिया और एक लोकप्रिय नेता दोनों के रूप में देखा जाता था। उनके समर्थक उन्हें एक दलित नेता के रूप में देखते थे जो गरीबों और वंचितों के लिए खड़े थे। उनके विरोधी उन्हें एक खूंखार अपराधी के रूप में देखते थे जो कानून से ऊपर था। मुख्तार अंसारी के निधन के कई राजनीतिक और सामाजिक परिणाम होंगे। मुख्तार अंसारी के निधन से मऊ और आसपास के क्षेत्रों में राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों में बदलाव की संभावना है। उनके समर्थकों और विरोधियों के बीच टकराव की आशंका भी जताई जा रही है।