सोने चांदी से भी बहुमूल्य है दुर्लभ जड़ी-बूटियों की विशाल संपदा
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
भोपाल। मध्य प्रदेश की विशाल वन संपदा का दर्शन कर अभिभूत हो गए लोग। औषधीय महत्व के दुर्लभ पौधों, बेलों, जड़ों, पत्तियों को प्रत्यक्ष देख मेले में आये लोगों को सोने चांदी से भी कीमती वनोपज के बहुमूल्य खजाने पर लोगां को गर्व का अनुभव हुआ।.
भोपाल हाट में चल रहे वन मेले में वनोपज से बनी औषधियों और व्यंजनों को भरपूर पसंद किया.गया हर्रा, बहेड़ा, आंवला, महुआ के उत्पादों के अलावा कुछ ऐसी जड़ी बूटियां मेले में प्रदर्शित है जो अब दुर्लभ होती जा रही है. वन क्षेत्र गहरी वन क्षेत्र के भीतर रहने वाले जनजाति परिवार उनकी रक्षा करते हैं और उन्हें उनकी गहरी पहचान होती है. वही इनका संग्रहण करते है. वन मंत्री नागर सिंह चौहान के निर्देश पर वन उपज संग्रहण करने वाले परिवारों की आय बढ़ाने के लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है।
मेले में वच, विदारीकंद, सिंदूरी, सप्तपर्णी, निर्गुंडी पुनर्नवा, ब्राह्मी, चमेली, अश्वगंधा, अर्जुन,अपराजिता, आमी हल्दी, काली हल्दी, जंगली प्याज, जंगली अदरक, कचनार कालमेघ, हड़जोड़, गूगुल, गोखरू, गिलोय शंखपुष्पी के अलावा शतावरी जैसी दुर्लभ होती जा रही वन उपज भी प्रदर्शित है।
हालांकि शतावरी. याददाश्त बढ़ती है और तनाव को दूर करती है. पाचन क्षमता को भी मजबूत बनाती है. इसका उपयोग नवजात शिशुओं की माताओं को पौष्टिक आहार बढ़ाने के लिए टॉनिक की तरह किया जाता है. तीखुर मधुर, शीत तथा पित्तशामक होता है।यह सुगन्धित, बलकारक होता है। इसका उपयोग क्षय रोग दूर करने रक्त विकार, श्वास विकार, बुखार दूर करने, मूत्र सम्बन्धी विकारों को दूर करने में उपयोगी होता है।