Direct sowing of paddy with drum seeder

ड्रम सीडर से करें धान की सीधी बुवाई


अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद।


वाराणसी। किसान ड्रम सीडर द्वारा आसानी से धान की बुवाई कर सकते हैं। धान की बुबाई सही समय पर करना अति आवश्यक होता है, क्योंकि अगर धान की खेती में बुवाई को उचित समय पर न किया जाए, तो इसका प्रभाव फसल की पैदावार पर पड़ सकता है। कभी-कभी किसान धान की बुवाई में पीछे रह जाते हैं। क्योंकि उन्हें मजदूर नहीं मिल पाते हैं। इस साल किसानों के लिए यह समस्या और भी बड़ी है। अगर इस वक्त किसान मजदूरों की कमी के कारण धान की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं, तो किसानों के लिए ड्रम सीडर (Drum Seeder) बहुत काम आएगा। किसान ड्रम सीडर द्वारा आसानी से बुवाई कर सकते हैं। इस मशीन से धान की सीधी बुवाई की जा सकती है। यह काफी सस्ती और आसान तकनीक वाली मशीन है। इसको काफी आसान तरीके से बना गया है।

उल्लेखनीय है कि इसमें बीज भरने के लिए 4 प्लास्टिक के खोखले ड्रम लगे होते हैं, जो कि एक बेलन पर बंधे रहते हैं. बेलन के दोनों किनारों पर पहिए लगे रहते हैं, जिनका व्यास लगभग 60 सेंटीमीटर का होता है. इससे ड्रम पर्याप्त ऊंचाई पर रहता है. इसके साथ ही ड्रम में 2 दो पंक्तियों पर लगभग 8 से 9 मिमीटर व्यास के छिद्र भी बने रहते हैं। बता दें कि ड्रम सीडर की एक परिधि में कुल 15 छिद्र होते हैं, जिनकी आपस की दूरी बराबर होती है. इसके अलावा 50 प्रतिशत छिद्र बंद रहते हैं. ये छिद्र गुरुत्वाकर्षण द्वारा बीज का गिराव करते हैं.ड्रम सीडर मशीन को खींचने के लिए एक हत्था भी लगा होता है. इस मशीन के आधे छिद्र बंद रहते हैं, इसलिए प्रति हेक्टेयर खेत के लिए सूखा बीज दर लगभग 15 से 20 किलोग्राम में उपयोग किया जाता है। अगर मशीन में पूरे छिद्र खुले हैं, तो प्रति हेक्टेयर खेत के लिए लगभग 25 से 30 किलोग्राम बीज दर की आवश्यकता होती है।

कृषि विज्ञान केन्द्र वाराणसी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉक्टर नरेंद्र रघुवंशी के अनुसार ड्रम सीडर के लिए कई तरह के ढक्कन बनाए जाते हैं, ताकि मशीन में आसानी से बीज भरा जा सके। इस मशीन में पूर्व अंकुरित धान के बीजों का उयोग किया जाता है। केन्द्र के शस्य वैज्ञानिक डॉ अमितेश सिंह बताते हैं कि ड्रम सीडर से धान की सीधी बुवाई कर रहे हैं, तो सबसे पहले खेत की मिट्टी को समतल बना लें. बीजों को 10 से 12 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रख दें। बीज शोधन करने के बाद छाया में सुखाकर गीले बोरे से ढक दें। बीज अंकुरित होने पर बुवाई करना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि ध्यान दें कि खेत में 2 से 5 इंच के बीच पानी रहने पर बुवाई करें। बीजों की बुवाई 5 से 6 घंटे के अंदर कर देनी चाहिए, क्योंकि खेत की मिट्टी कड़ी होने लगती है। वैज्ञानिक बीज तकनीक श्री प्रकाश बताते हैं कि प्रति हेक्टेयर 40 से 50 मजदूरों की मजदूरी कम लगती है। धान की फसल की अवधि 7 से 10 दिन कम होती है। खरपतवार नियंत्रण में आसानी से होता है। धान की खेती में बचत होती है।

इसी केन्द्र के एक दूसरे वैज्ञानिक डॉ राहुल सिंह बताते हैं कि इस मशीन को एक आदमी आसानी से चला सकता है। इसके लिए ट्रैक्टर की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। डॉ. सिंह ने कहा कृषि विज्ञान केन्द्र, वाराणसी धान की सीधी बुवाई की इस तकनीकी को जनपद में व्यापक स्तर पर प्रचारित प्रसारित कर रहा है और इसी के क्रम में विकासखंड विद्यापीठ के छितौनी एवं अराजी लाइन के महावने गांव में प्रदर्शन कराया गया है।