सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का स्पष्टीकरण: समय पर मिलेली छात्रवृत्ति
अनिवार्य प्रश्न । संवाद
नई दिल्ली। कुछ समाचार लेखों ने उल्लेख किया है कि कोविड-19 महामारी के कारण छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत भुगतान में अधिक विलम्ब हो रहा है और इस कारण छात्रों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
इस खबर पर तथ्यों के बारे में स्थिति को स्पष्ट करने के लिए, यह सूचित किया जाता है कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग अनुसूचित जातियों/अन्य पिछड़े वर्गों, अधिसूचित जनजातियों, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों जैसे लक्षित समूहों के लिए राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन/विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सहयोग से विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं को प्रत्यक्ष रूप से लागू करता है।
विभाग ने कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत भुगतान के दिशा-निर्देशो का कठोरता से पालन किया है ताकि लाभार्थियों को विशेष रूप से कोविड-19 के इस संकट के दौरान किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े। विभाग ने अनुसूचित जातियों के छात्रों के लिए मैट्रिक के बाद की छात्रवृत्ति की प्रमुख योजना के तहत, जून, 2020 तक सभी संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पूर्वानुमानित मांग के आधार पर 75 प्रतिशत की केंद्रीय हिस्सेदारी पहले ही जारी कर दी है। भिन्न-भिन्न मामलों के आधार पर केंद्रीय हिस्से की 25 प्रतिशत की शेष राशि को जारी करने की भी मंजूरी दे दी गई है।
सभी कार्यान्वयन एजेंसियों को छात्रवृत्ति आवेदनों की निस्तारण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहा गया है ताकि छात्रों को किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े। विभाग की अन्य सभी योजनाओं में, कार्यान्वयन एजेंसियों को नियमित आधार पर धनराशि जारी की जा रही है| संबंधित अधिकारियों के साथ इस प्रक्रिया की दिन-प्रतिदिन के आधार पर निगरानी भी की जा रही है।
अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप की योजना के तहत अनुसूचित जाति के लाभार्थियों को फैलोशिप के वितरण की निगरानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अन्य हितधारकों के साथ मासिक आधार पर की जाती है। सामाजिक न्याय विभाग द्वारा कार्यान्वयन एजेंसियों को योजना के तहत छात्रों को फैलोशिप के समय पर वितरण को सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है।