आधारभूत ढ़ांचे के प्रबंधन के लिए भारतीय सेना के एक सॉफ्टवेयर का शुभारंभ
अनिवार्य प्रश्न। संवाद
नई दिल्ली। आधारभूत ढ़ांचे के विकास को कई सैन्य प्रतिष्ठानों ने महत्व दिया है, जिसके तहत स्वतंत्रता पूर्व के विंटेज (विशिष्ट) आवास को बदलने के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। यह प्रक्रिया बोझिल और समय लेने वाली है जिसमें कई एजेंसियां शामिल हैं। भूमि भी बहुत दुर्लभ संसाधन बन गई है क्योंकि सभी छावनी और सैन्य प्रतिष्ठान अब आबादी वाले स्थानों के करीब आ गए हैं। वर्तमान में आधारभूत ढांचे के विकास और प्रबंधन की दिशा में भूमि की उपलब्धता, कार्यों की योजना और निगरानी, पर्यावरण संरक्षण और उत्तरदायी तिमाही नीतियों जैसे सभी कार्यों को हाथ से ही किया जाता है, जो न केवल समय लेने वाला है बल्कि अक्षम भी है।
यह महसूस करते हुए कि स्वचालन द्वारा ही सभी हितधारकों को सशक्त, पारदर्शी तथा जवाबदेही उन्मुख बनाकर सशक्त किया जा सकता है, भारतीय सेना ने “आधारभूत ढ़ांचा प्रबंधन प्रणाली (आईएमएस)” नाम का एक सॉफ्टवेयर की शुरूआत की है, जिसका शुभारंभ सीओएएस द्वारा सेना कमांडर सम्मेलन के दौरान 28 अक्टूबर 2020 को किया गया था।
इस विकसित सॉफ्टवेयर पैकेज के दायरे में निम्नलिखित शामिल हैं-
- कार्य आरंभ करने के लिए, सूची तैयार करना और रक्षा मंत्रालय द्वारा इसकी मंजूरी को स्वचालित करने के लिए।
- सीएफए द्वारा प्रशासनिक अनुमोदन और निष्पादन की निगरानी के लिए।
- सीएओ पूल आवास की उपलब्धता, छुट्टी की योजना, फिर से आवंटन और रखरखाव के कार्य को स्वचालित करने के लिए।
- बच्चों की शिक्षा हेतु, विशेष बच्चों और लड़ाई/शारीरिक दुर्घटना के लिए आवास का आवंटन/विस्तार की स्वीकृति को स्वचालित करने के लिए।
- आपातकालीन बंद सहित अन्य समय में छावनी की सड़कों का प्रबंधन।
- लाइन पर उपलब्ध भूमि, कार्यों और तिमाही नीतियों को बनाना।
- भूमि अतिक्रमण, पुराने बंगलों, वीआईपी संदर्भों और भूमि के हस्तांतरण / विनिमय की निगरानी करना।