सैनिटरी नैपकिन 1 रूपए प्रति पैड की कीमत पर अब होगा उपलब्ध
अनिवार्य प्रश्न । संवाद
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों के जरिए 10 जून, 2020 तक 3.43 करोड़ से अधिक सैनिटरी नैपकिन बेचे गए हैं। इस सामाजिक अभियान के तहत देशभर में 6300 से अधिक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केन्द्रों में सैनिटरी नैपकीन एक रूपए की न्यूनतम कीमत पर उपलब्ध कराया जा रहा है। ये सैनेटरी नैपकीन जन औषधि सुविधा सैनटरी नैपकीन के नाम से बेचे जा रहे हैं। बाजार में ऐसे नैपकीन की कीमत 3 से 8 रूपए प्रति पैड है।
विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर 4 जून 2018 को भारत सरकार ने महिलाओं के लिए “जन औषधि सुविधा ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी नैपकिन” लॉन्च करने की घोषणा की थी। तब से लेकर 10 जून 2020 तक जनऔषधि केन्द्रों के माध्यम से 4.61 करोड़ से अधिक सैनिटरी नैपकिन बेचे जा चुके हैं। इनकी कीमतों में 27 अगस्त 2019 को संशोधन कर दाम घटा दिए गए हैं। इसके बाद से 10 जून, 2020 तक इन केन्द्रों के जरिए 3.43 करोड़ से अधिक पैड बेचे जा चुके हैं।
मासिक धर्म और इससे जुड़ी प्रथाओं को अभी भी कई तरह के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक उपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है। जो मासिक धर्म के दौरान साफ सफाई और स्वास्थ्य देखभाल के रास्ते में बड़ी अड़चनें पैदा करते हैं। देश के कई हिस्सों में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों और महिलाओं की सैनिटरी उत्पादों तक पहुंच नहीं है या वे इनका विकल्प नहीं चुन पातीं क्योंकि बाजार में उपलब्ध ज्यादातर ऐसे नैपकीन महंगे हैं।
वर्तमान परिदृश्य में जन औषधि केन्द्रों के माध्यम से सस्ती और पर्यावरण अनुकूल सैनिटरी नैपकीन उपलब्ध करा कर भारत में वंचित वर्ग की महिलाओं के लिए एक स्वच्छ, स्वस्थ और बेहतर सुविधा सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है। सैनिटरी नैपकिन पर्यावरण के अनुकूल हैं, क्योंकि ये जैविक रूप से नष्ट हो जाने वाली ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बनाई जाती हैं। इनका परीक्षण एएसटीएम डी-6954 मानकों पर किया जाता है। प्रधानमंत्री जनऔषधि केन्द्र कोविड-19 के प्रकोप के इस चुनौतीपूर्ण समय में भी अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं और लोगों को सस्ती दरों पर जरुरी दवाओं और चिकित्सा उपकरण उपलब्ध करा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जनऔषधि सुविधा सैनिटरी नैपकिन सभी केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।