चित्रकूट जिला कारागार रगौली में तड़तड़ाईं गाोलियां, तीन अपराधी ढेर
अनिवार्य प्रश्न। संवाद
जिला जेल चित्रकूट की एक बैरक में बंद अपराधी अंशु दीक्षित जो जिला जेल सुल्तानपुर स्थानांतरित होकर चित्रकूट में लाया गया था ने सुबह लगभग 1ः00 बजे एक अन्य बंदी व सहारनपुर से लाए गए मुकीम काला तथा बनारस जिला जेल से लाए गए मेराज अली को असलहे से मार दिया। जेल प्रशासन के सूत्र बताते हैं कि वह पांच अन्य बंदियों को अपने कब्जे में कर लिया था। साथ ही उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहा था।
ऐसे में जेल प्रशासन ने जिला प्रशासन को सूचना दी। चित्रकूट के डीएम और एसपी द्वारा पहुंचकर बंदी को नियंत्रित करने का बहुत प्रयास किया गया किंतु वह पांच अन्य बंदियों को भी मार देने की धमकी लगातार देता रहा।
उसकी आक्रामकता को देखते हुए पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में अंशु दीक्षित भी मारा गया है। प्रशासन के बताया है कि इस घटना में कुल 3 बंदी मरे हैं। जिसमें अंशुल दीक्षित पुलिस की गोली बचाव कार्रवाई में मरा है बाकी दो को अंशु ने मारा गिराया था।
सूत्र बताते हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर संज्ञान ले लिया है एवं प्रदेश के महानिदेशक कारागार से इस मामले की रिपोर्ट तत्काल मांगी है। आगे यह देखना दिलचस्प होगा की क्या होता है।
बदमाशों का संक्षिप्त आपराधिक इतिहास
अंशू दीक्षित उर्फ सुमित
जेल सूत्रों के अनुसार मानकपुर कुड़रा बनी, सीतापुर जिले का निवासी अंशू दीक्षित उर्फ सुमित लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र के रूप दाखिला लेने के बाद अपराधियों के संपर्क में आ गया। उसने बताया था कि उसने अपने साथियों के साथ हत्या की कई सनसनी खेज वारदातों को अंजाम दिया है। उसके साथियों में सुधाकर पांडेय, जय सिंह, संतोष सिंह व विक्रांत मिश्र का नाम पुमुख रुप से बताया जाता है। वह पहली बार वर्ष 2008 में वह गोपालगंज (बिहार) के भोरे में अवैध असलहों के साथ पकड़ा गया था।
शूटर अंशुल दीक्षित उर्फ सुमित रायबरेली कारागार में दो महीने तक रहा भी था। उसकी दबंगई का आलम यह था कि उसके इशारे पर जेल प्रशासन घूमता था। जेल में शराब पार्टी और वही से फोन पर लोगों को धमकाना आम जैसे आम बात थी, जेल उसके घर जैसी हो गई थी। एक वीडियो वायरल होने के बाद अंशु दीक्षित को दूसरी जेल स्थानांतरित कर दिया गया। इस मामले में तत्कालीन जेल अधीक्षक समेत छह जेल के कर्मियों पर निलंबन की कार्रवाई की गई थी।
एक बार पेशी से लौटते समय सीतापुर रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा ड्यूटी में रहे सिपाहियों को वह कुछ जहरीला पदार्थ देकर फरार हो गया था। उसके बाद एसटीएफ लखनऊ की टीम ने उसे एक गुप्त सूचना पर भोपाल गिरफ्तार करने के लिए गई। भोपाल क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम के साथ उसकी गिरफ्तारी के लिए घेराबंदी की गई तो वह पुलिस पर फायरिग करने लगा। एसटीएफ लखनऊ के दारोगा संदीप मिश्र को इस दौरान दो गोली तथा क्राइम ब्रांच भोपाल के सिपाही राघवेंद्र को एक गोली लग गयी थी। दोनों मरते-मरते बचे थे। इसका लखनऊ में गोरखपुर के तत्कालीन सभासद फैजी की हत्या व सीएमओ हत्याकांड में भी नाम सामने आया था, लेकिन अपने प्रभाव के कारण वह मुल्जिम नहीं बनाया जा सका था। बताया जा रहा है कि अंशु दीक्षित पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी का खास व शार्प शूटर था। दिसंबर 2014 में इसे पकड़ा गया था। इसे चित्रकूट जेल करीब दो साल पहले भेजा गया था।
मेराजुद्दीन
सूचना के अनुसार मेराज अली उत्तर प्रदेश के वाराणसी का रहने वाला था। यह पहले मुन्ना बजरंगी का खास था, फिर मुख्तार से जुड़ गया था। अंशु से इसका बैर पहले से था संभव है इसी खुन्नस में अंशु ने इसे मारा होगा। लेकिन जेल में इस तरह की बढ़ती घटनाओं से उत्तर प्रदेश जेल प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं।
अपराधी वसीम काला का भाई था मुकीम काला
सूत्र बताते हैं कि मुकीम काला अपराधी वसीम काला का भाई था। दुर्दांत अपराधी वसीम काला पश्चिमी यूपी में एसटीएफ के हाथों एक मुठभेड़ में मारा जा चुका है। मुकीम काला का अपराध क्षेक्ष बड़ा था। यह पंजाब से लेकर हरियाणा तक गैंग वारदातें करता था। मुकीम काला ने तनिष्क ज्वैलरी शोरूम सहारनपुर में वर्ष 2015 में एक बड़े डकैती कांड को अंजाम दिया था। अनेक लूट, हत्या व मुठभेड़ के मुकदमे इसके नाम पर दर्ज हैं।