जीवन पथ आलोकित कर दो।
कविता: शब्द प्रार्थना के ध्वनियों संग, हिय तंत्री अभिमंत्रित कर दो। सर्जन ज्ञान की दीप शिखा को, ज्योति से अपने ज्योतित कर दो। सदवृत्तियाँ सदा मन,उर उपजे, कलुष दुराचरण खंडित … Read More
कविता: शब्द प्रार्थना के ध्वनियों संग, हिय तंत्री अभिमंत्रित कर दो। सर्जन ज्ञान की दीप शिखा को, ज्योति से अपने ज्योतित कर दो। सदवृत्तियाँ सदा मन,उर उपजे, कलुष दुराचरण खंडित … Read More
कविता: साहित्यिक गतिविधियों का, केंद्र बना उद्गार। कविर्मनिषी विद्वत्जन का काशी का आगार।। यहाँ सृजन का पथ आलोकित,दीप्त सृजन संसार। साहित्यिक… इसके अभ्युदय से खुश हैं सारे रचनाकार। नगर संग … Read More