तेंदूपत्ता संग्रहण जनजातीय परिवारों की आर्थिक सुरक्षा बढ़ायी गई
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
भोपाल। तेंदूपत्ता संग्राहक जनजातीय परिवारों को सामाजिक सुरक्षा चक्र मजबूत करते हुए उन्हें पिछले 10 सालों में 2000 करोड़ रुपये प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में दिये जा चुके हैं। तेन्दूपत्ता संग्राहकों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिये उन्हें संबल योजना में भी शामिल किया गया है। राज्य सरकार ने लघु वनोपजों के संग्रहण से जुड़े परिवारों के हित में सकारात्मक कदम उठाते हुए निर्यात को बढ़ावा देने के लिये आदिवासी बहुल जिलों को जैविक प्रमाण-पत्र देने की तैयारियां चल रही है। तेंदूपत्ता संग्रहण से जुड़े जनजातीय परिवारों की आर्थिक सुरक्षा के लिये तेंदूपत्ता संग्रहण दर 3000 रूपये प्रति मानक बोरा से बढ़ा कर 4000 रूपये प्रति मानक बोरा कर दी गई है। वर्ष 2003 में संग्रहण दर 400 रूपये प्रति मानक बोरा थी। इस निर्णय के परिणामस्वरूप संग्राहकों को लगभग 560 करोड़ रूपये का संग्रहण पारिश्रमिक के रूप में वितरित किया गया है। वर्तमान में लगभग 15 लाख परिवारों के 38 लाख सदस्य लघु वनोपज संग्रहण कार्य से जुड़े हैं। इनमें 50 प्रतिशत से ज्यादा जनजातीय समुदाय के हैं। बिचौलियों के शोषण से बचाने और उनकी संग्रहित लघु वनोपज का लाभ दिलाने के लिए सहकारिता का त्रिस्तरीय ढांचा बनाया गया है। इसमें प्राथमिक स्तर पर 15.2 लाख संग्रहणकर्ताओं की सदस्यता से बनायी गयी 10 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियां है। द्वितीय स्तर पर 51 जिलों में जिला स्तरीय यूनियन तथा शीर्ष स्तर पर म.प्र. राज्य लघु वनोपज संघ कार्यरत है। कोरोना काल में भी तेन्दूपत्ता संग्राहकों को परिश्रमिक 397 करोड़ रूपये एवं 415 करोड़ रूपये भुगतान किया गया। तेन्दूपत्ता श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा के लिये 2011 में एकलव्य वनवासी शिक्षा विकास योजना प्रारंभ की गयी। मेधावी बच्चों को सहायता राशि दी जाती है। अभी तक 15,026 छात्रों को 14 करोड़ रूपये से अधिक की सहायता राशि दी जा चुकी है। इनमें से लगभग 70 वन धन केन्द्रों द्वारा प्रसंस्करण उत्पाद निर्माण का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। इस वर्ष 229 ग्राम सभाओं द्वारा तेन्दूपत्ता संग्रहण का कार्य प्रारंभ हुआ।