Poetic message for cleanliness-Dr. D R Vishwakarma

स्वच्छता के लिये काव्य संदेश-डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा


स्वच्छता के लिये काव्य संदेश


चाहते हो यदि आप, लक्ष्मी जी का हो साथ,
घर और मन में शुद्धता अपनाइये।
शान्ति और सुख संग, खुशियाँ अपार मिलें,
गन्दगी को आदत से, दूर बस भगाइये।।

स्वच्छता वरदान मित्र, बढ़ाये यह सबकी शान,
गन्दगी बीमारी है, मन को समझाइये।
काया निरोगी होवे, भाव भी परिशुद्ध बने,
स्वच्छता अभियान को, दिल से अपनाइये।।

साफ़ और सफ़ाई में सबकी भलाई मान,
घर और बाहर भी, रीति यह चलाइये।
कूढ़ा और करकट बने, एक दिन जानलेवा,
स्वच्छता मिशन को, हर जन तक फैलाइए।

चाहते हो यदि, बाल बच्चे तेरे स्वस्थ्य रहें,
मेरी बात मानकर, अपनी आदत सुधारिए।
गाढ़ी कमाई न ख़र्च हो, बीमारी पर तो,
स्वच्छता के साथ, जीवन शैली बनाइये।।

रोग अस्सी फ़िशद दूर होते, शुद्ध जल से ही,
पूर्वजों की बात मान, शुद्ध जल को अपनाइये।
अभी कुछ लोग भाई, खुले में ही शौच करें,
आम जन स्वास्थ्य हेतु, उन्हें समझाइये।।

गाँव गाँव स्वच्छता का चलता अभियान प्रिय,
आप भी अनुदान ले शौचालय बनवाइये।
स्वच्छता से देवता भी होते हैं प्रसन्न सदा,
साफ़ और सफ़ाई को, बस गले से लगाइये।।


डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा
रचनाकार पूर्व ज़िला विकास अधिकारी/परियोजना निदेशक रहे हैं।