काव्य संध्या के रूप में मनाया गया ‘उद्गार’ संस्था के कोषाध्यक्ष हर्षवर्द्धन ममगाई का जन्मदिन
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कवि व पत्रकार विजयचन्द तिवारी को दिया गया ‘प्रेम रत्न सम्मान’
काशी, 6 जनवरी। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध उद्गार संस्था के कोषाध्यक्ष और सूचना अधिकारी हर्षवर्द्धन ममगाई का जन्मदिन काव्य संध्या के रूप में बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर काशी के प्रख्यात कवियों और साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और अपनी रचनाओं के माध्यम से कार्यक्रम को जीवंत किया।
कार्यक्रम का आयोजन काशी के स्याही प्रकाशन स्थित उद्गार सभागार में किया गया। आयोजन की अध्यक्षता वरिष्ठ लेखक व साहित्यकार नरेन्द्र बहादुर सिंह ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में हर्षवर्द्धन ममगाई स्वयं उपस्थित थे। विशिष्ट अतिथियों में राकेश पाठक ‘माहाकाल’ रहे। सभा मे संस्था के संस्थापक पं0 छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ ने भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई।
कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुआ। इसके बाद काशी के जाने-माने कवियों ने एक के बाद एक अपनी कविताओं का पाठ किया। कवि सम्मेलन का विषय “जन्मदिन और जीवन की सार्थकता” था, जिसने कवियों और श्रोताओं दोनों को प्रेरित किया।
कवियों ने हास्य, वीर रस, और श्रंगार रस में डूबी अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। राकेश पाठक माहाकाल की ओजपूर्ण कविताओं ने जहां जोश भर दिया, वहीं पं0 छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ की प्रेमपूरित रचनाओं ने समाज के विभिन्न पहलुओं प्रेम के प्रभाव पर प्रकाश डाला। उदाहरण के तौर पर कुण्ठित जी ने सुनाया कि ‘आज कुछ उपहार लिख्खेगी कलम, आज फिर अभिसार लिख्खेगी कलम, एक मधुरिम साथ, साथी के लिए, ढेर सारा प्यार लिख्खेगी कलम।’ उन्होंने अपने संबोधन में उद्गार संस्था और साहित्य प्रेमियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “साहित्य समाज का दर्पण है, और ऐसी काव्य संध्याएँ हमें अपने मूल्यों और संस्कारों से जोड़ती हैं।”
कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण मुख्य अतिथि विजय चन्द तिवारी का का सम्मान था। संस्था की ओर से कवि व पत्रकार विजय चन्द तिवारी को ‘प्रेम रत्न सम्मान’, और हर्षवर्द्धन ममगाई को स्मृति चिह्न और पुष्पगुच्छ प्रदान कर सम्मान किया गया।
अध्यक्षीय संबोधन में नरेन्द्र बहादुर सिंह ने काव्य संध्या के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “इस प्रकार के आयोजनों से न केवल साहित्य का प्रचार-प्रसार होता है, बल्कि नई पीढ़ी को भी प्रेरणा मिलती है।”
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी, कवि, और नागरिक उपस्थित रहे। सभी ने आयोजन की सराहना की और इसे यादगार बताया। सम्पन्न हुई गोष्ठी में डॉक्टर लियाकत अली, शिब्बी ममगाई, हर्षवर्धन ममगाई, चंद्रभूषण सिंह, डॉ राकेश चंद्र पाठक महाकाल, बुद्धदेव तिवारी, विजय चंद्र त्रिपाठी, जी.एल. पटेल, डॉ ए.के. सिन्हा बहुमुखी, सुनील कुमार सेठ, अजफर बनारसी, आशिक, ध्रुव सिंह चौहान, विंध्यवासिनी मिश्रा, खलील अहमद राही, आशिक बनारसी, शमीम गाजीपुरी, दिनेश दत्त पाठक, रामनरेश पाल, आनंद पाल, नंदलाल राजभर नंदू, कैलाश नाथ यादव, डॉ कृष्ण प्रकाशनंद, अंजली मिश्रा, खुशी मिश्रा व आनंद कृष्ण श्रीवास्तव मासूम आदि शामिल रहे।
कार्यक्रम का समापन हर्षवर्द्धन ममगाई के जन्मदिन के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए केक कटिंग समारोह से हुआ। इसके बाद संस्था के सचिव ने धन्यवाद ज्ञापन दिया और उपस्थित सभी लोगों का आभार व्यक्त किया। यह काव्य संध्या साहित्यिक उत्सव और सामाजिक एकता का अनुपम उदाहरण बनी, जिसने काशी की साहित्यिक विरासत को और समृद्ध किया।