92nd seminar of 'Udgaar' 'Geeton Mein Ram' concludes

‘उद्गार’ की 92वीं गोष्ठी ‘गीतों में राम’ संपन्न


अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद।


वाराणसी। उद्गार साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संगठन की 92 वीं गोष्टी भगवान श्री राम को समर्पित रही। अयोध्या में मंदिर स्थापना एवं भगवान श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा को समर्पित व राम के गीतों व राम के भावों से शराबोर रही इस गोष्ठी में विगत वर्ष दिवंगत हुए वरिष्ठ कवि व साहित्यकार योगेंद्र नारायण चतुर्वेदी ‘वियोगी’ को पुष्पांजलि भी अर्पित की गयी।

गोष्ठी में अध्यक्षता डॉक्टर डॉ विश्वकर्मा ने किया एवं मुख्य अतिथि के तौर पर वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती प्रियंवदा सिंह मौजूद रह। कार्यक्रम में ‘स्याही प्रशासन व उद्गार संस्था के संस्थापक छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ भी उपस्थित रहे। गोष्छी का संचालन डॉक्टर लियाकत अली ने किया। कार्यक्रम में सभी कवियों ने भगवान श्री राम के जीवन पर आधारित कविताएं पढ़ीं। किसी ने उनकी तपस्या पर गीत सुनाया तो किसी ने उनके आगमन में स्वागत पर गीत सुनाकर सबको विभोर कर दिया। कुछ साहित्यकारों ने वरिष्ठ साहित्यकार वियोगी के श्रद्धांजलि व उनके स्मृति में भी रचनाएं पढ़ीं।
अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर दयाराम विश्वकर्मा ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में ‘रामत्व के विकास पर चर्चा की एवं राम की तरह चरित्र निर्माण की बात कही। सुनील कुमार सेठ ने ‘‘सब बने राम इस पर विचारें जरा, ले चरण रज स्वयं को सवारें जरा’’, प्रियंवदा सिंह ने ‘‘पहले तुम राम बनो मैं सीता बन जाऊंगी, सत्यवान बनकर आ जाओ, सावित्री बन जाऊंगी’’ सुनाया।  पं. छतिश द्विवेदी कुण्ठित ने ‘‘हे राम! तुम्हें आना होगा! तुम खेल नियति का देखो तो, कितनी पीड़ा बरसाती है? केवल चीखों से आहों से, ये दुनियां भरती जाती है, तुमको इन रोने वालों के, होठों से मुस्काना होगा! हे राम! तुम्हें आना होगा!’’ सुनाकर सबको राम को प्रकट हो जाने का अहसास करा दिया। संचालक डॉक्टर लियाकत अली ने ‘‘खूब बजाओ ढोल नगाड़े छेड़ो सुर संग्राम, चलो अयोध्या धाम प्यारे चलो अयोध्या धाम’’ सुनाकर वाहवाही लूटी। डॉक्टर शरद श्रीवास्तव ने ‘‘अवधपुरी में अभिनंदन है,आओ,आओ,आओ राम! हुआ मनोरथ पूर्ण हमारा,आओ आओ पूरणकाम!’’ सुनाया।
कविता पाठ करने वाले साहित्यकारों में श्रीमती सिब्बी ममगाई, श्रीमती झरना मुखर्जी, श्रीमती माधुरी मिश्रा, श्रीमती संध्या श्रीवास्तव सरस, खलील अहमद रही, आशिक बनारसी, डॉक्टर कृष्ण प्रकाश श्रीवास्तव, प्रकाशानंद, चंद्रभूषण सिंह, डॉक्टर अनिल सिंहा बहुमुखी, अजफर बनारसी, अर्चना त्रिपाठी, शशिकला त्रिपाठी, स्मिता चौधरी, कवित्री प्रियंवदा सिंह, डॉक्टर लियाकत अली, डॉक्टर शरद श्रीवास्तव, रामनरेश पाल महागवी व नंदलाल राजभर आदि रचनाकारों ने अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया। उद्गार संगठन की साहित्यिक गोष्टी संख्या 92वीं पूर्ण रूप से राममय एवं वियोगीमय रही।