‘स्वर लहरी’ और ‘तेरी जीत मेरी हार’ दो काव्य पुस्तकों का हुआ भव्य लोकार्पण
अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद।
वाराणसी। डा. अनिल सिन्हा बहुमुखी रचित ‘स्वर लहरी’ और कवयित्री नीलिमा श्रीवास्तव द्वारा रचित ’तेरी जीत मेरी हार’ के भव्य लोकार्पण कार्यक्रम भोजूबीर सरसौली स्थित स्याही प्रकाशन के उद्गार सभागार में आयेजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व न्यायाधीश एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर चंद्रभाल सुकुमार ने किया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सहायक निदेशक चिकित्सा सेवा के ओ. पी त्रिपाठी, बतौर अतिथि आकाशवाणी के कार्यक्रम अधिकारी दिनेश कुमार सिंह, स्याही प्रकाशन के प्रकाशक व उद्गार के संस्थापक पण्डित छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ मौजूद रहे एवं कार्यक्रम का सफल संचालन डॉक्टर लियाकत ने किया। अपने प्रकाशकीय वक्तव्य में प्रकाशक पण्डित छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ ने दोनों पुस्तकों के रचइताओं के बारे में और उनकी रचनाओं के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ‘यह अफवाह है कि अब के समय में पढ़ा और लिखा कम जा रहा है। आज एक साथ दो किताबों का लोकार्पण यह स्पष्ट करता है कि आज भी हिन्दी साहित्य को जीने वाले लोग हैं। और गहरायी से जी रहे हैं।’ वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर चंद्रभाल सुकुमार ने अपना विचार व्यक्त किया कि ‘स्याही प्रकाशन साहित्य की बहुत सेवा कर रहा है। साहित्यकारों को इतना प्रोत्साहन और प्लेटफार्म देना उच्छी बात है। इस दौर में जब सब कुछ डिजिटल हो चुका है किताबों का अपना महत्व है। हिन्दी की दोनों काव्य रचनाएँ साहित्य को समृद्ध करेंगी।
सर्वप्रथम माँ सरस्वती को माल्यार्पण और अतिथियों का सम्मान किया गया। देवी सरस्वती की वंदना युवा कवि सुनील कुमार सेठ ने प्रस्तुत किया तत्पश्चात पुस्तकों का क्रमशः लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।
दूसरे सत्र में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता शायर अतहर बनारसी ने की। गोष्ठी में शहर के सम्मानित कवियों ने अपनी अपनी कविताओं से समा बांधा। कार्यक्रम में पुस्तक स्वर लहरी के रचयिता डॉक्टर अनिल सिन्हा बहुमुखी और तेरी जीत मेरी हार के नीलिमा श्रीवास्तव, विनय श्रीवास्तव, अंचला पांडेय, डाक्टर रेणु सिंहा, डाक्टर शिवांगी सिन्हा, सिद्धनाथ शर्मा, रामनरेश पाल, नंदलाल राजभर, जेके सिंह, जयप्रकाश मिश्रा धानपुरी, मुनेंद्र पाण्डेय, मुन्ना, कैलाश नाथ यादव, जी.एल. पटेल, शिवदास, अलियार प्रधान, रामकृष्ण मिश्रा, विंध्यवासिनी मिश्र, तेजबली अनपढ़, डॉक्टर पुष्पेंद्र अस्थाना पुष्प, विजय चंद्र त्रिपाठी, रश्मि सिंह, नेहा सिंह, शेषनाथ यादव, आनंद प्रकाश पाल, महेंद्र नाथ तिवारी अलंकार, नीलमा श्रीवास्तव, आनंद कृष्ण श्रीवास्तव मासूम, हर्षवर्धन ममगांई, सिब्बी ममगांई, साधना शाही, चंद्रभूषण सिंह, माधुरी मिश्रा, अंजली मिश्रा, मनोज मिश्रा, आशिक बनारसी, खलील अहमद राही, गोपाल केशरी, प्रशांत वर्मा, शेषनाथ यादव, वृद्धि द्विवेदी, अथर्व सिंह एवं अरूणिता सिंह आदि कवियों ने कविता पाठ किया।