फैलायी जाएगी मटकों के जरिये जागरूकता


अनिवार्य प्रश्न । संवाद


बाड़मेर के कुम्भकारों की कोरोना से लड़ाई की अनोखी पहल
मटके से उठाए कोरोना जागरण का बीड़ा उठाया
खादी ग्रामोद्योग आयोग के “कुम्हार सशक्तिकरण कार्यक्रम” से जुड़े हैं यह कुंहार परिवार
राजस्थान के 12 जिलों में चल रहा है यह कार्यक्रम


बाड़मेर। बारां जिले के किशनगंज उपखंड क्षेत्र के कुम्भकार परिवारों के बाद अब बाड़मेर जिले के विशाला गाँव के कुंभकार परिवारों ने भी अपने हुनर से कोरोना के प्रति जागरूकता फैलाने का बीड़ा उठा लिया है। इन परिवारों द्वारा गढ़े जाने वाले मिट्टी के मटकों पर कोविड-19 से बचाव के संदेश को उकेरा जा रहा है।

मटकों पर “घर रहें सुरक्षित रहें”, “कोरोना को हराना है बार-बार साबुन से हाथ धोना है” “मास्क का प्रयोग करें” जैसे संदेश लिखे गए हैं और आगे बन रहे मटकों पर लिखा जा रहा है। इन कुम्भकार परिवारों का मानना है कि व्यक्ति जितनी बार पानी पीएगा उतनी बार इन संदेशों को पढ़ेगा और कोरोना से सचेत रहेगा। रुचिकर है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही मटकियों की बिक्री भी बढ़ेगी और उनका संदेश ज्यादा लोगों तक पहुँच सकेगा।

पहले जनजाति बहुल बाराँ जिले और अब सीमावर्ती जिले बाड़मेर के कुम्भकार परिवारों की ओर से की गई यह पहल छोटी ही सही लेकिन असरदार और प्रशंसनीय है। किशनगंज और विशाला के यह परिवार केंद्र सरकार के खादी और ग्रामोद्योग आयोग की योजना “कुम्हार सशक्तिकरण कार्यक्रम” से जुड़े हैं। यह कार्यक्रम राजस्थान के 12 जिलों में चलाया जा रहा है जिनमें जयपुर, कोटा, बाराँ, झालावाड़, श्रीगंगानगर, बाड़मेर प्रमुख है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कुम्हार समुदाय के हुनर को बेहतर बनाकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ना है। इसके लिए उन्हें मिट्टी को गूंधने के लिए मशीनें और मटके तथा अन्य उत्पाद बनाने के लिए इलेक्ट्रिक चाक दिये गए है।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने राजस्थान के कुम्भकार परिवारों की ओर से कोरोनो को हराने के लिए की गई इस पहल की सराहना की है। उन्होंने कहा कि जागरूकता फैलाने का यह अनोखा तरीका कई अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बनेगा। श्री सक्सेना ने बताया कि “कुम्हार सशक्तिकरण कार्यक्रम” से जुड़ने के बाद उनकी आय में सात से आठ गुना वृद्धि हुई है। इस कार्यक्रम से करीब 60 हजार परिवारों को फायदा हो रहा है।

गर्मी के मौसम में मटका लगभग हर घर की जरूरत है। मटकों पर माँड्णे और चित्रकारी करने की पुरानी परंपरा है। कोरोना के इस मुश्किल दौर में मिट्टी के शिल्पकारों ने अन्य तरह की चित्रकारी के बजाय मटकों पर कोरोना महामारी से बचाव के संदेश लिखकर न सिर्फ अपनी समझदारी का परिचय दिया है बल्कि लोगों को इस गंभीर बीमारी से सतर्क करने की जिम्मेदारी उठाई है। इस समाज के लोगों ने इससे पहले भी प्रधानमंत्री के आह्वान पर कोरोना कर्मवीरों के सम्मान में दीपक जलाने के लिए लोगों को खादी ग्रामोद्योग आयोग के निर्देश पर निःशुल्क मिट्टी के दीयों का वितरण किया था।

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