Veteran actress Smriti Biswas Hindi passes away at the age of 100

100 की उम्र में अभिनेत्री स्मृति बिस्वास का निधन,हिंदी सिनेमा का एक सुनहरा दौर हुआ समाप्त


अनिवार्य प्रश्न। मंचदूत।


नई दिल्ली। 4 जुलाई, 2024 को भारतीय सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री स्मृति बिस्वास का 100 साल की उम्र में निधन हो गया है। उनके निधन के समाचार से फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई।स्मृति बिस्वास जी का जन्म 17 फरवरी, 1924 को हुआ था। उन्होंने 1940 के दशक में हिंदी सिनेमा में कदम रखा और आदमी, भागम भाग, बाप रे बाप, हम सफर, सैलाब, तीन बत्ती, जागते रहो, चांदनी चौक जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया।

उन्होंने अपने करियर में गुरु दत्त, वी. शांताराम, मृणाल सेन, बिमल रॉय, बी.आर. चोपड़ा और राज कपूर जैसे दिग्गज निर्देशकों के साथ काम किया।1960 में फिल्म निर्देशक एस.डी. नारंग से शादी के बाद उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली थी। शादी के बाद वो नासिक में अपने पति और बच्चों के साथ रहने लगीं। उनके निधन पर कई दिग्गज कलाकारों और फिल्म निर्माताओं ने शोक व्यक्त किया है। स्मृति बिस्वास जी ने हिंदी सिनेमा में कई दशकों तक काम किया और अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता। वह अपनी दमदार आवाज, शानदार अभिनय और खूबसूरत मुस्कान के लिए जानी जाती थीं।

उन्होंने अपनी फिल्मों में विभिन्न प्रकार के किरदार निभाए और हर किरदार में जान डाल दी। वह एक बहुमुखी अभिनेत्री थीं और उन्होंने कॉमेडी, ड्रामा और रोमांस जैसी सभी शैलियों में काम किया। स्मृति बिस्वास जी को उनके परिवार और दोस्तों द्वारा प्यार से स्मिता बुलाया जाता था। वह एक शास्त्रीय गायिका भी थीं और उन्होंने कई फिल्मों में गाने भी गाए थे। 2018 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार यिा गया।

स्मृति बिस्वास जी का निजी जीवन भी उतार-चढ़ाव से भरा रहा। 1960 में उन्होंने फिल्म निर्देशक एस.डी. नारंग से शादी की। शादी के बाद उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली और नासिक में अपने परिवार के साथ रहने लगीं। उनके पति का 1980 में निधन हो गया। इसके बाद वह अपने बच्चों के साथ रहीं।

स्मृति बिस्वास जी के अंतिम समय में उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता था। वह उम्र से जुड़ी बीमारियों से जूझ रही थीं। 4 जुलाई, 2024 को उन्होंने नासिक स्थित अपने घर में अंतिम सांस ली। स्मृति बिस्वास जी हिंदी सिनेमा की एक युग थीं। उन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता और फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनका निधन भारतीय सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति है।