48वीं-शलाका जनजातीय चित्र प्रदर्शनी
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा प्रदेश के जनजातीय चित्रकारों को चित्र प्रदर्शनी और चित्रों की बिक्री के लिये सार्थक मंच उपलब्ध कराने की दृष्टि से प्रतिमाह लिखन्दरा प्रदर्शनी दीर्घा में किसी एक जनजातीय चित्रकार की प्रदर्शनी सह विक्रय का संयोजन शलाका नाम से किया जाता है। इसी क्रम में 3 अप्रैल, 2024 से गोंड समुदाय की चित्रकार श्रीमती संदीप्ति परस्ते के चित्रों की प्रदर्शनी सह-विक्रय का संयोजन किया गया है। 48वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी 30 अप्रैल, 2024 (मंगलवार से रविवार) तक निरंतर रहेगी। इस प्रदर्शनी में उनके बनाये गये 26 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है।
गोण्ड चित्रकार परस्ते का जन्म मध्यप्रदेश के जनजातीय बहुल डिण्डौरी जिले के ग्राम रसौई में वर्ष 1992 में हुआ है। बचपन जंगल-पहाड़ों से घिरे ग्रामीण वातावरण में गुजरा और खेती-किसानी वाले परिवार में पली-बढ़ी। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी संदीप्ति ने 12 वीं तक औपचारिक शिक्षा हासिल की है। गोण्ड चित्रकार द्वारका परस्ते से वर्ष 2011 में हुए विवाह के बाद उनके सान्निध्य में रहकर परस्ते ने पारंपरिक गोण्ड चित्र-शैली की बारीकियों को सीखा-समझा और समय के साथ धीरे-धीरे अपने अनुभवों के आधार पर अपनी स्वतंत्र शैली विकसित करने की कोशिश की। वर्तमान में आप भोपाल में निवासरत होकर गोण्ड चित्रांकन में स्वतंत्र रूप से संलग्न हैं। आपके चित्रों में प्रकृति और पर्यावरण सहित पशु-पक्षियों का चित्रण प्रमुखता से देखने को मिलता है।