एक अक्टूबर, 2022 के बाद निर्मित एम 1 वर्ग के वाहनों में दो साइड/दो साइड टॉरसो एयर बैग तथा दो साइड कर्टन/ट्यूब एयर बैग लगाना अनिवार्य
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
नई दिल्ली। सड़क यातायात और राजमार्ग मंत्रालय ने एम 1 वर्ग के वाहनों में ड्राइवर एयरबैग लगाना अनिवार्य कर दिया था। इस वर्ग में वे यात्री वाहन आते हैं, जिनमें ड्राइवर सीट के अलावा आठ से अधिक सीटें नहीं होतीं। ड्राइवर एयरबैग को वाहन चालकों की सुरक्षा के लिये उन सभी वाहनों के लिये अनिवार्य कर दिया गया था, जो वाहन एक जुलाई, 2019 को और उसके बाद निर्मित किये गये। एयरबैग ऐसी प्रणाली है, जो वाहन के डैशबोर्ड पर लगी होती है और दुर्घटना होने की स्थिति में वाहन चालक और गाड़ी के सामने वाले हिस्से के बीच गुब्बारे की तरफ फूलकर वाहन चालक को गंभीर रूप से घायल होने से बचाती है।
इसके बाद, मंत्रालय ने एम 1 वर्ग के वाहन के लिये यह अनिवार्य कर दिया कि वाहन चालक सहित आगे बैठने वाली सवारी की सुरक्षा के लिये फ्रंट एयरबैग लगाये जायें। यह आदेश एक जनवरी, 2022 से प्रभावी कर दिया गया।
वाहन में बैठे लोगों की भीषण टक्कर से सुरक्षा बढ़ाने के लिये, यह निर्णय किया गया कि केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में संशोधन करके उसमें दिये गये सुरक्षा शर्तों में इजाफा किया जाये। अधिसूचना का मसौदा 14 जनवरी, 2022 को जारी किया गया, जिसके तहत एम 1 वर्ग के वाहनों के लिये यह अनिवार्य कर दिया गया कि एक अक्टूबर, 2022 के बाद निर्मित सभी यात्री वाहनों में दो साइड/साइट टॉरसो एयरबैग लगाये जायें तथा दो साइड कर्टन/ट्यूब एयरबैग लगाये जायें। इस तरह आगे और पीछे, दोनों कंपार्टमेंट में बैठे लोगों के सामने और पीछे से होने वाली टक्करों के असर को कम किया जा सकेगा।
“साइड/साइड टॉरसो एयरबैग” का अर्थ गुब्बारे की तरह फूलने वाली प्रणाली है, जिसे सीटों या वाहन के भीतर बगल वाले ढांचों में लगाया जायेगा। उसे इस तरह डिजाइन किया जायेगा कि बगल से होने वाली टक्कर के समय शरीर के धड़ में चोट को कम किया जा सके और सवारी को बाहर गिरने से बचाया जा सके। यह आगे बैठे लोगों की सुरक्षा के लिये है।
“साइड कर्टन/ट्यूब एयरबैग” का अर्थ गुब्बारे की तरह फूलने वाली प्रणाली है, जिसे वाहन के भीतर बगल वाले ढांचों में लगाया जायेगा। उसे इस तरह डिजाइन किया जायेगा कि बगल से टक्कर होने के समय या गाड़ी पलटने की स्थिति में सिर में चोट लगने से बचाया जा सके। यह पीछे बैठी सवारियों को सुरक्षित करने के लिये है।