नागपुर हिंसा : सांप्रदायिक तनाव के बीच शहर में कर्फ्यू, 90 से अधिक गिरफ्तार : पूरी रिपोर्ट
अनिवार्य प्रश्न। संवाद।
नागपुर। महाराष्ट्र के नागपुर शहर में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा ने पूरे राज्य में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन के बाद हिंसा भड़क उठी, जिसमें कई लोग घायल हुए और सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू कर दिया है और अब तक 90 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
17 मार्च 2025 को नागपुर के महाल और हंसपुरी इलाकों में हिंदू संगठनों ने एक विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें वे औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग कर रहे थे। यह प्रदर्शन पहले शांतिपूर्ण था, लेकिन जैसे ही विरोध मार्च आगे बढ़ा, दो गुटों के बीच झड़पें शुरू हो गईं।
शाम होते-होते हालात बेकाबू हो गए, जब कुछ असामाजिक तत्वों ने दुकानों और वाहनों में आग लगा दी। इस दौरान पथराव हुआ और कई इलाकों में भारी तोड़फोड़ की गई। हालात बिगड़ते देख प्रशासन ने तुरंत पुलिस बल को तैनात किया और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।
इस हिंसा में अब तक 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें 33 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। हिंसा के दौरान 38 दोपहिया वाहन, 5 कारें, 2 जेसीबी और 1 क्रेन को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। कई दुकानों और घरों में भी तोड़फोड़ की गई। स्थानीय अस्पतालों में घायलों का इलाज जारी है, और पुलिस ने शहर में स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए संवेदनशील इलाकों में गश्त बढ़ा दी है। हिंसा को देखते हुए नागपुर पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की है। अब तक 90 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 10 एफआईआर दर्ज की गई हैं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि यह हिंसा एक सोची-समझी साजिश प्रतीत होती है, और सरकार किसी को भी कानून व्यवस्था बिगाड़ने की इजाजत नहीं देगी। इसके अलावा, हिंसा के मुख्य आरोपी फहीम खान के अवैध निर्माण को बुलडोजर से गिरा दिया गया है। प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि इस घटना में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नागपुर पुलिस और राज्य सरकार ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं।
संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है और ड्रोन व सीसीटीवी कैमरों के जरिए निगरानी रखी जा रही है। नगर प्रशासन ने शांति बनाए रखने की अपील की है और सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों से बचने के लिए लोगों को सतर्क रहने को कहा है।
हिंसा के बाद राजनीतिक दलों में भी बयानबाजी तेज हो गई है। बीजेपी ने इस घटना के लिए विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि विपक्षी पार्टियों का कहना है कि सरकार प्रशासनिक विफलता को छुपाने की कोशिश कर रही है। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने इस हिंसा की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, जबकि एनसीपी और कांग्रेस ने इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की साजिश बताया है।
नागपुर में हुई यह हिंसा एक गंभीर मसला बन गई है, जिससे न केवल शहर बल्कि पूरे राज्य में तनाव बढ़ा है। प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हिंसा पर काबू पा लिया है, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर सांप्रदायिक सौहार्द को ठेस पहुंचाई है। सरकार और प्रशासन को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। साथ ही, आम जनता को भी शांति बनाए रखने और अफवाहों से दूर रहने की जरूरत है।