तकनीकी बदलाव से हिन्दी पत्रकारिता प्रभावित प्रो. अनुराग दवे
अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद।
वाराणसी। हिन्दी भाषा और हिन्दी पत्रकारिता दोनों का विकास एक साथ समन्वित है। हालांकि तकनीकी बदलाव ने हिन्दी पत्रकारिता को प्रभावित किया है। इस प्रभाव पर बाजारवाद की झलक भी दिखती है। कीमतवार और विज्ञापनदाता ने भी असर डाला है। इन सबके आलोक में यह जरूरी हो गया है कि समाचार पत्र सीमा निर्धारण करें। यह कहना था काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता व जनसंप्रेषण विभाग के प्रोफेसर अनुराग दवे का। वह गुरूवार को काशी पत्रकार संघ की ओर से हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित ‘पत्रकारिता से मीडिया तक का सफर’ विषयक संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में विचार व्यक्त कर रहे थे। प्रोफेसर दवे ने कहा कि सोशल मीडिया के कारण लेखन के स्वरूप में बदलाव आया है लेकिन तथ्य संग्रहण की क्षमता आज भी जरूरतों की ओर मजबूती से इंगित करती है।
पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह ने कहा कि भाषा के प्रति अपनी चेतना को मजबूती से जागृत करने की जरूरत है। संगठित चेतना से मीडिया को सर्वहितकारी बनाना होगा। पूर्व कुलपति प्रो. राममोहन पाठक ने कहा कि पत्रकारिता की मूल आत्मा तो संघर्ष की रही। संकट और संस्कार की पृष्ठभूमि में अपनी लोकशिक्षा परम्परा को और ऊर्जित करना होगा। समाजवादी चितंक विजय नारायण ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता से हिन्दी को काफी संबल मिला। इस संबल को और बलवान करने के लिये जनआंदोलन की जरूरत है। प्रो. सतीश राय ने पत्रकारिता का चरित्र और संस्कार बनाये रखने पर जोर दिया। संघ के पूर्व अध्यक्ष योगेश कुमार गुप्त ने जहां सकारात्मकता को स्वीकारने पर बल दिया, वहीं योगेन्द्र नारायण शर्मा ने पत्रकारों की समस्याओं को लेकर आवाज उठाने की बात कहीं।
अध्यक्षता करते हुए काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष डा. अत्रि भारद्वाज ने कहा कि आज के बदलते दौर में भी समाचारों के नियंत्रित लेखन अर्थात उसकी मूल भावना को बनाये रखना जरूरी है। स्वागत और संचालन संघ के महामंत्री अखिलेश मिश्र, विषय स्थापना संघ के उपाध्यक्ष डा. वशिष्ठ नारायण सिंह व धन्यवाद ज्ञापन वाराणसी प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरुण मिश्र ने किया।
इस मौके पर अतिथियों ने काशी पत्रकार संघ की वेबसाइट लांच की।
संगोष्ठी में पूर्व अध्यक्ष सुभाष चन्द्र सिंह, डा. कवीन्द्र नारायण, दीपेश चन्द्र चौधरी आदि ने विचार रखे। इस अवसर पर संघ के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ तिवारी, उमेश गुप्ता, डा. अजय कृष्ण चतुर्वेदी, वाराणसी प्रेस क्लब के मंत्री विनय शंकर सिंह, ओंकारनाथ उपाध्याय, मुन्ना लाल साहनी, आशुतोष पाण्डेय, अरुण सिंह, जय शंकर जय, विमलेश चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे।