After the repeal of Section 370, the oppressed people of Jammu get their rights back Director Kamakhya Narayan Singh

धारा 370 निरस्त होने के बाद जम्मू के दबे-कुचले लोगों को उनके अधिकार वापस मिल गए: निदेशक कामाख्या नारायण सिंह


अनिवार्य प्रश्न। संवाद


नई दिल्ली। “यह विचार मेरे दिमाग में 2012 के आसपास उस समय आया था, जब मेरे एक दोस्त ने शोध के दौरान पाया कि जम्मू और कश्मीर में दलितों के एक वर्ग को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया था। शोध में पाया गया कि पंजाब से कुछ दलितों को गंदगी और कूड़ा साफ करने जैसे कार्यों के लिए जम्मू और कश्मीर ले जाया गया और दशकों तक उन्हें इन्हीं कार्यों को करने के लिए मजबूर किया गया। यहां तक कि हमारे संविधान में उल्लेखित समान न्याय और समान अवसर के मौलिक अधिकारों से भी उन्हें वंचित कर दिया गया। फिर मुझे लगा कि इन मौलिक अधिकारों से कुछ लोगों को वंचित करने के लिए किस तरह डॉ. आंबेडकर द्वारा निर्मित हमारे संविधान में हेरफेर की गई। हमने 2015 में अनुच्छेद 35अ पर एक डॉक्युमेंट्री बनाई थी और हमने महसूस किया कि जिन लोगों के पास आवाज नहीं है, उन्हें सुनने की जरूरत है।” 51वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल (आईएफएफआई 51) में भारतीय पैनोरमा में नॉन फीचर फिल्म “जस्टिस डिलेड बट डिलिवर्ड” के निदेशक कामाख्या नारायण सिंह ने अपनी फिल्म के पीछे की परिस्थितियों का वर्णन कुछ इस तरह किया। वह भारत के 51वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में शुक्रवार को अपनी फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद आज 23 जनवरी, 2021 को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

निर्देशक का कहना है कि 15 मिनट की हिंदी डॉक्युमेंट्री फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक व्यक्ति अपने संवैधानिक अधिकारों का दावा करता है। “मैंने इस वृत्तचित्र के माध्यम से जो किया, उस पर मुझे गर्व है। यह लघु वृत्तचित्र जम्मू और कश्मीर की वाल्मीकि समुदाय से संबंधित राधिका गिल और रश्मि शर्मा के संघर्ष और आशा की कहानी बताती है। यह फिल्म संविधान के अनुच्छेद 370 के हनन के इर्द-गिर्द घूमती है। “राधिका और रश्मि दोनों भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35अ के कारण भेदभाव का शिकार थीं, जिसने जम्मू और कश्मीर के “स्थायी निवासियों” को विशेष अधिकार और विशेषाधिकार प्रदान किए थे। निर्देशक ने कहा, उनके ये हालात वर्ष 2019 में समाप्त हो जाते हैं, जब अनुच्छेद 370 को निष्प्रभाव कर दिया जाता है और अनुच्छेद 35अ को हटा दिया जाता है। इस प्रकार उन्हें वे सभी अधिकार प्राप्त हो गए, जिनके वे जन्म से ही अधिकारी थे।

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