स्टार्टअप महाकुंभ में जनजातीय स्टार्टअप्स की दमदार उपस्थिति
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नई दिल्ली। भारत मंडपम में आयोजित तीन दिवसीय स्टार्टअप महाकुंभ में जनजातीय नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। जनजातीय कार्य मंत्रालय की पहल धरतीआबाट्राइबप्रिन्योर्स 2025 के तहत देशभर से चुने गए 45 जनजातीय स्टार्टअप्स को इस भव्य आयोजन में प्रदर्शित किया गया। इस पहल का उद्देश्य आदिवासी नवाचारों और उद्यमिता को राष्ट्रीय मंच पर सशक्त बनाना है।
कार्यक्रम की खास बात रही दो जनजातीय-नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स — ऑवरगेस्ट ट्रैवल्स और एनगुरी ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड — को प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जाना। इन दोनों स्टार्टअप्स को क्रमशः आईआईएम कोलकाता और आईआईटी गुवाहाटी में इनक्यूबेट किया गया था। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया।
ऑवरगेस्ट ट्रैवल्स को सतत पर्यटन के क्षेत्र में डी2सी पुरस्कार मिला। सिक्किम के गंगटोक स्थित यह स्टार्टअप पूर्वोत्तर भारत के पहले ऑनलाइन ट्रैवल एग्रीगेटर के रूप में कार्य कर रहा है और 600 से अधिक होमस्टे व 50 से अधिक स्थानीय गाइड्स के साथ 6,000 से अधिक यात्रियों को सेवा प्रदान कर चुका है। इसका उद्देश्य ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देना और इको-टूरिज्म को सशक्त करना है।
एनगुरी ऑर्गेनिक को एग्रीटेक पुरस्कार से नवाजा गया। यह स्टार्टअप डेटा-संचालित तकनीकों और ब्लॉकचेन के माध्यम से किसानों को स्मार्ट समाधान प्रदान करता है, जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित होती है।
कार्यक्रम के दौरान एक विशेष पैनल चर्चा “भारत में निवेश: मेट्रो क्षेत्रों से परे स्टार्टअप क्षमता को अनलॉक करना” विषय पर आयोजित की गई, जिसमें वीसी/एंजेल निवेशकों और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। साथ ही, आईआईटी दिल्ली के संकाय द्वारा एक डिजाइन थिंकिंग वर्कशॉप भी आयोजित की गई, जिसने प्रतिभागियों को उनके स्टार्टअप आइडिया को निखारने का अवसर दिया।
कार्यक्रम के समापन पर 45 स्टार्टअप्स के प्रतिनिधियों, 100 ईएमआरएस छात्रों और 150 छात्रवृत्ति धारकों को भागीदारी प्रमाणपत्र वितरित किए गए। इसके अतिरिक्त, प्रतिभागियों ने आईआईटी दिल्ली में बूटकैंप और स्टार्टअप इकोसिस्टम विज़िट में भाग लिया।
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने इस आयोजन के माध्यम से एक बार फिर यह सिद्ध किया कि धरतीआबाट्राइबप्रिन्योर्स 2025 जैसी पहलें आत्मनिर्भर आदिवासी भारत के निर्माण की दिशा में मील का पत्थर हैं। यह कार्यक्रम न केवल आदिवासी नवाचारों को पहचान देने का एक मंच बना, बल्कि आदिवासी भारत को देश की विकास गाथा का अभिन्न हिस्सा बनाने की ओर एक बड़ा कदम भी साबित हुआ।