चुनाव हार कर भी जीतने की तरह चर्चा में आई पुष्पम प्रिया चैधरी
अनिवार्य प्रश्न। संवाद
पटना। बिहार की राजनीति में लगभग डेढ़ दशक से बदलाव नहीं हो रहा है। लोगों ने भाजपा और नीतीश कुमार की मिली जुली सरकार को अब तक पसंद किया है। ऐसे में यूरोप से उच्च शिक्षा प्राप्त कर आई हुई पुष्पम प्रिया चैधरी इन दिनों काफी लोकप्रिय हुई। बिहार की सियासत में दी प्लूूरल्स पार्टी के नाम से अपनी पार्टी गठित कर कई सीटों पर चुनाव लड़ाने वाली एवं दो सीटों से स्वयं निर्वाचन के मैदान में कूदने वाली पुष्पम प्रिया दोनों स्थानों से चुनाव हार गई।
बावजूद इसके अपने यूरोपीय जीवन शैली, बेबाकीपन एवं उन्मुक्त मुखरता के कारण वह चुनावी समरभर चर्चा में रहीं। पटना के निकट बांकीपुर और मधुबनी से चुनाव मैदान में उतरी पुष्पम अपनी सुंदरता के कारण भी लोगों के बीच खासी लोकप्रिय हुई और अपनी प्रतिभा के कारण मीडिया में भी चर्चा में रही। हालांकि चुनाव इस बार उनके हिस्से नहीं आ सका और और जनता का प्रेम उन्हें नहीं मिल पाया।
बांकीपुर से पुष्पम प्रिया को महज 3.69 प्रतिशत वोट ही मिल पाये। उन्होंने बांकीपुर से 5189 वोट हासिल किया। वहीं मधुबनी से वे केवल 0.85 प्रतिशत वोट प्राप्त कर पाईं। दोनों जगह से उन्हें भाजपा से हार मिली। हालांकि बेहद प्रतिभावान, मुखर एवं काया से अति सुंदर और बतौर दी प्लूरल्स पार्टी केी संस्थापक विहार राजनीति से चर्चा में आई पुष्पम प्रिया चैधरी लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर डिग्री होल्डर हैं।
उल्लेखनीय है कि उन्होंने बिहार में शिक्षकों, प्रोफेसरों, किसानों सामाजिक कार्यकर्ताओं और सेवानिवृत्त उच्चाधिकारियों को उम्मीदवार के रूप में अवसर दिया था। इस सबके बावजूद उनके परिवर्तनकारी सारे प्रयास इस बार विफल रहे और उनकी पार्टी पूरी तरह से हार गई। वह एक भी सीट नहीं जीत पाईं।
हालांकि उनके लिए बिहार की आम जनता में सिम्पैथी पैदा हो गई है। उनकी प्रतिभा आम लोगों में चर्चा है और मीडिया में भी उन्हें प्रथम मर्तबा स्थान अच्छा मिला है। उनका आखिरी वक्तब्य जनता को उनका पच नहीं रहा है, जिसमें उन्होंने ईवीएम मशीन को हैक होने की अव्यावहारिक बात कही है और साथ ही उन्होंने भाजपा को वोट स्थानांतरित होने का आरोप लगाया है। आम लोगों को लग रहा है कि यह तो कांग्रेस का हार झुठलाने का पुराना पैंतरा है। ऐसी आरोप भरी बात परिवर्तनकारी नेता को नहीं कहनी चाहिए। सही नेता को अपनी हर हार-जीत सच्चाई के साथ स्वीकार करनी चाहीए।