आलेख: समाज में बढ़ता सेक्सटार्शन का अपराध

आलेख: प्रेम व व्यवहार के नाम पर सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बढ़ते पोर्नवाद और नग्नता के आधार पर वसूली तथा अन्य अपराध की विवेचना कर रहें हैं वरिष्ठ लेखक … Read More

हम बिहार में चुनाव लड़ रहे हैं (व्यंग्य)

हरिशंकर परसाई पाठकों, मैं वह हरिशंकर नहीं हूं, जो व्यंग्य वगैरह लिखा करता था। मेरे नाम, काम, धाम सब बदल गए हैं। मैं राजनीति में शिफ्ट हो गया हूं। बिहार … Read More

आलेख : स्वर्ग में विचार-सभा का अधिवेशन

आलेख :भारतेंदु हरिश्चंद्र स्‍वामी दयानन्‍द सरस्‍वती और बाबू केशवचन्‍द्रसेन के स्‍वर्ग में जाने से वहां एक बहुत बड़ा आंदोलन हो गया। स्‍वर्गवासी लोगों में बहुतेरे तो इनसे घृणा करके धिक्‍कार … Read More

आलेख: समाज में अच्छाई उस समय भी थी, सवर्ण विरोध प्रेमचंद की कुंठा थी

आलेख: प्रेमचंद की बहुतायत रचना में सवर्ण वर्ग का विरोध संवेदनशीलता की ओट में विस्तारित होते दिखाई देता है। हालांकि उनके रचना समय-समय में सवर्णों में अच्छे लोग भी थे। … Read More

आलेख: कॉफी पीने से फायदा भी होता है और नुकसान भी जाने फिर पियें

आलेख: रविन्द्र कुमार प्रजापति कॉफी, एक अन्य सामान्य वसा है जो कि लगभग सभी लोगों के लिए पसंदीदा है। इसका स्वाद, उसकी खुशबू, और उसका तेजी से सक्रिय करने वाला … Read More

आलेख: सूर्याेदय हॉस्पिटल में संवेदना का सूर्यास्त

आलेख: चिकित्सा व्यवस्था में व्याप्त अव्यवस्था, भ्रष्टाचार और परिलक्षित आम आदमी के शोषण को आधार बनाकर उसकी समीक्षा करते हूए अपात्रों के हाथों से छीनकर उसके नियमन की अनिवार्यता की … Read More

जीवन पथ आलोकित कर दो।

कविता: शब्द प्रार्थना के ध्वनियों संग, हिय तंत्री अभिमंत्रित कर दो। सर्जन ज्ञान की दीप शिखा को, ज्योति से अपने ज्योतित कर दो। सदवृत्तियाँ सदा मन,उर उपजे, कलुष दुराचरण खंडित … Read More

प्रकृति कुछ तो कहती है:

कविता: कब से करती तुम्हे इशारा कल कल करती गंग की धारा क्यूं दूषित मुझको करते हो? मैंने ही तो तुझको तारा। तेरे पूर्वज जब तड़प रहे थे मोक्ष की … Read More

कविता : साहित्यिक गतिविधियाँ : डॉक्टर दयाराम विश्वकर्मा

कविता: साहित्यिक गतिविधियों का, केंद्र बना उद्गार। कविर्मनिषी विद्वत्जन का काशी का आगार।। यहाँ सृजन का पथ आलोकित,दीप्त सृजन संसार। साहित्यिक… इसके अभ्युदय से खुश हैं सारे रचनाकार। नगर संग … Read More