कविता :  शब्द :  डॉक्टर डी. आर. विश्वकर्मा

कविता :  शब्द  शब्दों को हैं ब्रह्म मानते, शब्द ब्रह्म का आराधक। दिखती है शब्दों की थिरकन, जग में सब, उसके साधक।। शब्दों के ही उद्बोधन से, अन्तर्मन के उठते … Read More

‘माँ सरस्वती चालीसा’ एवं ‘धरणीसुता’ पुस्तक का लोकार्पण संपन्न

अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद। हनुमान चालीसा के बाद काशी ने दुनिया को दिया फिर एक ‘माँ सरस्वती चालीसा’ काशी से विश्व को मिला नया चालीसा वाराणसी। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित … Read More

कविता : अधूरा छूट गया : डॉ. मधुबाला सिन्हा

कविता : अधूरा छूट गया : डॉ. मधुबाला सिन्हा मान मिला सम्मान मिला, पर कुछ तो अधूरा छूट गया! सपनलोक का तू तो कुँवर था मैं तेरे सपनों की रानी … Read More

पखवाड़ा है हिंदी का : कंचन सिंह परिहार

नवगीत : पखवाड़ा है हिंदी का पखवाड़ा है हिंदी का, पखवाड़ा है हिंदी का। आओ मिलकर साथ मनाएं, पखवाड़ा है हिंदी का।।1।। कल तक वो जो अंग्रेजी के गुण गाने … Read More

‘‘आओ दीप जलाएं फिर से!’’ -गीतकार – छतिश द्विवेदी कुंठित’

गीत ‘‘आओ दीप जलाएं फिर से!’’ सनातन के पावन पर्व दीपावली पर सभी पाठकों को शुभकामना देते हुए उद्गार काव्य के इस अनुभाग में प्रस्तुत है गीत ‘‘आओ दीव जलाएँ … Read More

उद्गार काव्य : देश पर गुमान : रुद्राणी घोष

देश पर गुमान युवा कवयित्री : रुद्राणी घोष मुझसे पूछा एक अंगरेज ने, तु़झे क्यों हैं इतना गुमान अपने देश पर? खाने को भरपेट खाना नहीं, आधी आबादी सोती है … Read More

कविता: सुख-दुख दोनों अतिथि हमारे: कंचन सिंह परिहार

कविता: सुख-दुख दोनों अतिथि हमारे  : कंचन सिंह परिहार सुख-दुख दोनों अतिथि हमारे। कभी साथ न दोनों आते, हरदम रहते आते-जाते, कब है आना कब है जाना, कितने दिन कब … Read More