नटिनिया दाई भांग की दुकान पर बिकता है गांजा
स्थानीय नागरिक ने किया स्टिंग आपरेशन
बिना अनुज्ञापी के नाम का बोर्ड लगाए भांग की दुकान पर खुलेआम बिक रहा है गांजा
स्थानीय के स्टींग आपरेशन में आया सामने
गांजा 30, 35, 70 और 140 रुपये की पुड़िया में उपलब्ध
प्लास्टिक के थैली का कर रहे प्रयोग
अनिवार्य प्रश्न। शहर संवाददाता
वाराणसी। भोले नाथ की नगरी में लोग नीयम कानून को ताख पर रख कर चलते है और जब बात बाबा के बूटी की हो तो कायदा-कानून कौन देखता है। बाबा की बूटी यानी भांग और गांजा, इनमें भांग बेचने की अनुमति तो सरकार से मिलती है लेकिन गांजा बिक्री करना गैर कानूनी है। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि वाराणसी शहर में कई भांग की दुकानों में गांजा आसानी से उपलब्ध होता है। इसका खुलासा हुआ है एक स्टिंग आॅपरेशन में। एक स्थानीय नागरिक द्वारा किए गये स्टिंग आपरेशन में शिवपुर थानाक्षेत्र के नटिनियादाई इलाके में भांग की दुकान पर खुले आम गांजा बेचा जा रहा है। जिस आत्म विश्वास के साथ भांग की दुकान पर गांजा बेचा जा रहा है उससे साफ पता चलता है कि इस पूरे खेल में पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत है।
अक्सर ये सुनने को मिलता है कि भांग की दुकानों में अवैध तरीके से गांजा बेचा जाता है। इसकी शिकायत भी लगातार मिलती रही है। गांजा एक उच्च कोटी का मादक पदार्थ है जिसकी बिक्री सार्वजनिक रूप से किया जाना अवैध होता है। लेकिन नटिनियादाई क्षेत्र में भांग की दुकान पर गांजा बेचे जाने की बात कई बार सामने आयी है लेकिन इस स्टिंग आपरेशन से पहले प्रमाणित नहीं हो सका था।
एक स्थानीय नागरिक ग्राहक बनकर भांग की दुकान पर पहुंचा और उसने गांजा मांगा तो दुकानदार ने उनसे पूछा कि कितने वाला चाहिए। फिर उसने पुड़िया का रेट बताया। बताया कि उसके यहां 30 रुपये, 35 रुपये, 70 रुपये और 140 रुपये की पुड़िया मिलती है। इसी दौरान एक और ग्राहक गांजा लेने पहुंचा और सीधे 35 रुपये बढ़ाया और पुड़िया लेकर चलता बना। नटिनियादाई इस भांग की दुकान से कुछ ही मीटर की दूरी पर चांदमारी पुलिस चैकी भी है, लेकिन दुकान वाले को इस बात का कोई खौफ नहीं है। अक्सर लोगों की शिकायत यह भी होती है कि भांग की इस दुकान से नाबालिग भी गांजा की खरीदारी करते दिखते हैं। एक ओर सरकार नशीले पदार्थ के सेवन से लोगों को रोकने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चला रही है वहीं आबादी वाले इलाके में पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे खुले आम गांजा की बिक्री होना सरकारी मशीनरी की ईमानदारी और जिम्मेदारी पर सवालिया निशान लगाता है।