वाराणसी स्मार्ट सिटी द्वारा बनारस की गलियों को मिलेगा नवजीवन
अनिवार्य प्रश्न । ब्यूरो संवाद
वाराणसी। वाराणसी स्मार्ट सिटी के द्वारा रि-डेवलपमेंट वार्ड आफ ओल्ड काशी नामक परियेाजना के अन्तर्गत काशी की तंग व खस्ताहाल गलियों को नव जीवन और सौन्दर्य देने का काम किया जा रहा है। वाराणसी स्मार्ट सिटी लि0 द्वारा रि-डेवलपमेंट वार्ड आफ ओल्ड काशी परियेाजना के अन्तर्गत कुल 6 वार्डों क्रमशः राज मंदिर वार्ड लागत 13.53 करोड़, काशी काल भैरव वार्ड लागत 16.24 करोड़, कामेश्वर महादेव वार्ड लागत 17.09 करोड़, जंगमबाड़ी वार्ड लागत 12.65 करोड़, दशाश्वमेाध वार्ड लागत 16.22 करोड़, आदि में मूलभूत सुविधाओं से युक्त विकास का कार्य कराया जा रहा है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक और वार्ड गढ़वासी टोला लागत 9.60 करोड़ के कार्य के लिए निविदा अभी प्रक्रिया में है। वर्तमान समय में परियोजना हेतु निविदा आमंत्रित कर कार्यदायी संस्था के साथ अनुबन्ध करते हुए कार्य योजना बनाकर कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। क्रमश राज मंदिर वार्ड, काशी काल भैरव वार्ड एवं कामेश्वर महादेव वार्ड में 30 सितम्बर 2021 तक एवं जंगमबाड़ी एवं दशाश्वमेध वार्ड में दिसम्बर 2021 तक कार्य पूर्ण करा लिया जाएगा।
उक्त परियोजना के अन्तर्गत नगर के विभिन्न वार्डों मे स्थित गलियों के पुनरूद्धार के लिए लगाये गये पुराने चैका पत्थर को बदलने, सीवरेज व भूमिगत पेयजल की लाईनों को बदलकर नई लाईनें डालनें, गलियों में स्थित भवनों की दिवारों पर आकर्षक थीम आधारित चित्रकारी किया जाना शामिल है जिससे नागरिकों को सीवरेज व पेयजल इत्यादि की समस्याओं से निजात मिल सकती है। परियोजना को पूरे होने पर इन गलियों का स्वरूप भी बदल जाएगा। गलियों में डक्ट चेम्बर का निर्माण भी किया जा रहा है जिसके माध्यम से भविष्य में विद्युत लाईन, टेफिलोन लाईन को गलियों में स्थित चैका पत्थर, सीवरेज, पेयजल पाईप लाईन को बिना क्षतिग्रसत किये बिछाया जा सकता है तथा गलियों में कुछ दूर पर जगह-जगह चैम्बर व मैनहोल बनाया गया है जिसके द्वारा भविष्य में सीवरेज व पेयजल से आने वाली समस्या का समाधान आसानी से किया जा सकता है। साथ ही साथ गलियों में वर्षा के पानी हेतु जगह-जगह गली ट्रैप बनाया जा रहा है जिसमें बारिस के पानी को इकठ्ठा करते हुए मेन होल में भेजा जायेगा जिससे वर्षा के समय जल भराव की समस्या उत्पन्न नहीं होगी।
उल्लेखनीय है कि वाराणसी नगर हमारे देश के सबसे प्राचिन नगरो में से एक है। इसलिए इसके बारे में प्रसिद्ध इतिहासकार मार्क ट्वीन ने कहा था कि यह इतिहास से भी पुराना है। बनारस, ना केवल मंदिरों और अपने धार्मिक परम्पराओं, घाटों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि अपनी गलियों के लिए भी जाना जाता है। इस शहर की आत्मा यहाॅ की गलियों मेें रहती है। इसे गलियों का शहर भी कहते हैं। यह नगर गलियों के लिए विश्व प्रसिद्व है, उन गलियों के लिए जो सड़क की भीड़-भाड़ से दूर लोगों के आवागमन हेतु विशेष तौर पर उपयोग की जाती हैं। वर्तमान समय में ये गलियां काफी पुरानी होने के साथ ही साथ गलियों की सड़क, सीवरेज एवं पेयजल व्यवस्था काफी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हो गई है, जिससे इनका पुनरूद्धार कराना अत्यन्त आवश्यक हो गया था।
नगर निगम के सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावित वार्ड की गलियों के अत्यन्त सकरी होने के कारण कार्य करने में काफी दिक्कतें आ रही हैं जिस हेतु वार्ड में कार्ययोजना बनाकर एक समय में कुछ ही गलियों को लेते हुए काम किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त यात्रियों के आवागमन व सीवरेज से संबंधित समस्या हेतु आने जाने के लिए अस्थायी मार्ग तथा अस्थायी पाईप लाईन का प्राविधान भी किया गया है।