Prohibition order issued against companies found guilty of misappropriation and factionalism

हेराफेरी और गुटबंदी की दोषी पाई गई कंपनियों के खिलाफ रोक लगाने का आदेश जारी


अनिवार्य प्रश्न। संवाद


नई दिल्ली। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 3(1) के प्रावधानों के साथ पढ़ी गई धारा 3(3)डी के उल्लंघन की दोषी पाई गई आठ कंपनियों के खिलाफ अपना एक अंतिम आदेश जारी किया। इन धाराओं में प्रतिस्पर्धा रोधी समझौतों को निषेध किया गया है।

सीसीआई ने पाया कि ये कंपनियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कीमतों के निर्धारण, निविदाओं के आवंटन, मिली जुली बोली लगाने और निविदा प्रक्रिया में हेराफेरी के द्वारा पूर्वी रेलवे को एक्सिल बियरिंग्स की आपूर्ति में गुटबंदी में लिप्त पाई गईं। इससे जुड़े सबूतों में ई-मेल, कॉल डिटेल रिकॉर्ड और इन कंपनियों के प्रतिनिधियों के बयान शामिल हैं। ईमेल के आदान प्रदान से पता चलता है कि कंपनियों ने खुद को एक्सिल बियरिंग्स की खरीद के लिए भारतीय रेलवे की निविदाओं के संबंध में आवंटित मात्रा के बारे में चर्चा की थी। यह पाया गया कि वेंडरों ने उनमें से कुछ को सहमत मात्राओं के हासिल नहीं करने की स्थिति में मुआवजा व्यवस्था पर विचार-विमर्श किया था। यह मामला पूर्वी रेलवे की तरफ से दायर संदर्भ के आधार पर शुरू किया गया था।

इस पृष्ठभूमि में, सीसीआई ने पूर्वी रेलवे द्वारा जारी निविदाओं में बोली लगाने में हेराफेरी करने और गुटबंदी की दोषी कंपनियों के खिलाफ ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। हालांकि, सीसीआई ने सीमित स्टाफ और टर्नओवर वाली एमएसएमई कंपनियों के होने, अपनी लिप्तता को स्वीकार करने में कंपनियों द्वारा अपनाए गए भागीदारीपूर्ण और गैर प्रतिकूल दृष्टिकोण के साथ ही कोविड-19 के चलते एमएसएमई सेक्टर पर पड़े आर्थिक दबाव को देखते हुए किसी प्रकार का जुर्माना नहीं लगाया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *