लघुकथा : अनुचित फीस : नीरज त्यागी

अनुचित फीस : नीरज त्यागी लॉकडाउन के समय में अपने बच्चों की पढ़ाई खराब होने का डर शर्मा जी को लगातार हो रहा था। फिर कुछ खबर सी आई कि … Read More

आलेख: बाजारवाद की हमजोली बना दी गई सुन्दरता: सलिल सरोज

भौतिक युग में आज तक अपरिभाषित सुन्दरता, उसमें भटके स्त्री समाज और उसपर सौन्दर्य प्रतियोगिताओं के षणयन्त्र से आधिपत्य किए पूँजीवाद के क्षद्म की बेमिशाल भाव परिक्रमा कर रहे हैं … Read More

मौत का खेल

एस.जी.एस. सिसोदियागुलाबी बाग, दिल्ली-110007 “कांग्रेचुलेशन अंकुर! आज तुम्हारी बारी है। जाओ और खुद को फाँसी लगा कर खत्म कर दो!“ अंकुर ने उत्तर में लिखा था, “ओके गाइज, आई ऐम … Read More