Story What else should I do, Doc Saab...!

कहानी : और क्या लूं, डॉक साब…!


कहानी 


पवार साहेब ने वर्मा जी को नमस्कार करते हुए पूछा कि वर्मा जी आज अल सुबह कहां जा रहें है? वर्मा जी ने, पवार साहेब का अभिवादन स्वीकार करते हुए कहा… पवार साहेब, आप नहीं जानते? मेरे गांव चांदपुर में करोना महामारी फैली है। मुझे भी १० दिनों से सर्दी, जुकाम, बुखार का लक्षण दिखाई दे रहा है। सोचा… पास में डॉक्टर अजय विश्वकर्मा जो होम्योपैथी के अच्छे जानकार डॉक्टर है, उनकी राय… व कुछ दवाएं ले ली जाए…! क्यों नहीं….!

करोना को लोग बहुत खतरनाक रोग मान रहे हैं, वैसे भी पवार साहेब! आप को बता दें कि मेरे पास वाले उदय शंकर जो जिला पंचायत सुल्तानपुर में अपर मुख्य अधिकारी थे, कितने हथठे कठ्ठे, लंबा शरीर! बेचारे, दो दिन में ही इस दुनिया से रुखसत हो गए…! पता चला कि उन्हें करोना ने अपनी चपेट में ले लिया था…! वैसे भी पवार साहेब, आप तो जानते ही है कि ” रोग और शत्रु” को कभी छोटा नही समझना चाहिए…!

वर्मा जी के कथन को मानो स्वीकारोक्ति प्रदान करते हुए पवार साहेब ने हां में हां मिलाते हुए वर्मा जी को कहा, हां वर्मा जी! आप अवश्य डॉक्टर साहेब को दिखाकर दवा लें ले और परहेज करे। क्योंकि हमारे बड़े बुजुर्गाे ने इसी लिए कहा है,… “इलाज से बचाव अच्छा” और पहला सुख निरोगी काया।

वर्मा जी, डॉक्टर अजय विश्वकर्मा के क्लिनिक डोभीवाला में पहले मरीज के रूप में दस्तक दे दी। डॉक्टर साहेब बिल्कुल तैयार होकर अपनी कुर्सी पर आला लगाए हुए बैठे ही थे, उन्होंने वर्मा जी की नाड़ी देखते हुए पूछा, कब से बुखार है, क्या जुकाम भी है, वर्मा जी ने बताया डॉक साब, करीब १० दिन से सर्दी, जुकाम, बुखार मुझे परेशान किए है। डॉक्टर साहेब ! बहुत कमजोरी भी है।खाने में स्वाद भी नही मिल पा रहा है, गंध का तो अता पता ही नही चल रहा है …! इन्फ्लूएंजा का लक्षण है… डॉक्टर साहेब ने तहकीकात करते बताई। पुनः पूछा कोई घर में बीमार तो नही है? न। जिसके पास आप इन दिनों रह रहे हो…! वर्मा जी ने डॉक्टर साहेब को बताया, कि मेरे घर में कोई बीमार नहीं है, परंतु मेरे गांव चांदपुर में करोना का प्रकोप व्याप्त हो गया है। गांव के तमाम बुजुर्गाे, बड़ो को यही सर्दी, जुकाम, बुखार के आने की मानो बाड़ सी आ गई है…!

वर्मा जी ने अपने गांव का समाचार बताते हुए, डॉक्टर साहेब से घबराते हुए पूछ बैठे कि डॉक्टर साहब! ” कही मेरे को भी तो करोना नही हो गया”। नही… नही…  वर्मा जी का पल्स रेट देखते, यह बात डॉक्टर साहब ने बताई।

वर्माजी, आप को बताएं, सभी सर्दी, जुकाम, बुखार से पीड़ित व्यक्ति को करोना नही होता।आप को समझाता हूं, देखिए…75 प्रतिशत सर्दी जुकाम बुखार, राइनोवायरस से फैलता है, और 25 प्रतिशत सर्दी जुकाम बुखार करोना वायरस से होता है। इसलिए यह कहना कि सर्दी जुकाम से पीड़ित हर रोगी को करोना हो गया है १०० प्रतिशत गलत है, समझे वर्मा जी।

लेकिन करोना एक खतरनाक बीमारी है, इससे बचना भी चाहिए। इसमे “फोमायिट बार्न इन्फेक्शन” होता है, जिसका मतलब यदि करोना से पीड़ित मरीज, किसी अन्य स्वस्थ्य व्यक्ति के संपर्क में आता है, कोई चीज छूता है या वह खांसता है तो, उसकी छींक से, या उसके छूने के स्थान पर छूने से भी करोना का खतरा बड़ जाता है। वह स्वस्थ्य व्यक्ति को भी ग्रसित कर देता है और उनमें भी करोना के लक्षण उत्पन्न हो जाते है इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों ने “०२ गज दूरी मास्क है जरूरी” का नारा दिया है। वैसे भी हम सभी
जानते भी है कि…
“Prevention is better than cure”
डॉक्टर साहेब का उक्त विश्लेषण अब वर्मा जी को कुछ राहत भरा लगा, जब उन्होंने वर्मा जी को विधिवत चेक अप करते हुए करोना व गैर करोना के मरीजों के अंतर को भी समझाया।

आई अल आई (इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस) सर्दी जुकाम बुखार का लक्षण शरीर मे पैदा करता है परंतु यह करोना ही है, इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती, समझ में आई मेरी बात, हां डॉक्टर साहब!

यदि इन्फ्लूएंजा भी हो तो इसे गंभीरता से लेते हुए आज इस महामारी के दौर में प्रिकॉशन तो जरूर बरतना पड़ेगा। डॉक्टर साहेब ने विस्तार से बताया कि हम सभी को एंटीजन टेस्ट या आर टी पी सी आर टेस्ट अपने घर के सभी सदस्यों की भी करा लेनी चाहिए। एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट तो तत्काल प्राप्त हो जाती है परंतु आर टी पी सी आर की रिपोर्ट २४ घंटे बाद में मिलती है, लेकिन करोना के संदर्भ में रिवर्स ट्रांस कृपशन पाली चौन रिएक्शन की रिपोर्ट यदि घनात्मक (पॉजिटिव) आती है तो समझना चाहिए करोना का असर है।

डॉक्टर साहेब ने यह भी बताया कि हमे टेस्टिंग एजेंसी से सी टी वैल्यू भी ज्ञात करना चाहिए, यदि सी टी वैल्यू २४ से ऊपर है तो वह रोगी” हाईएली इनफेक्सियस टू अदर्स” होता है। डॉक्टर अजय ने कहा कि इसे भी हमे संज्ञान में रखना पड़ेगा, तभी हम करोना से मुक्त हो पाने में समर्थ होंगे।

वर्मा जी को हिदायत देते हुए डॉक्टर साहेब ने कहा कि कोई भी रोग हो बिना चिकित्सकीय परामर्श के अपने से दवा नही ली जानी चाहिए, क्योंकि,” दवाएं दोस्त भी है, और दुश्मन भी” सदियों से ये कहावतें, जो समाज में व्याप्त है, आम लोगों का दिशानिर्देशन करती हैं।

आप के गांव चांदपुर में तो करोना का जैसे खौफ का मंजर ही पसरा है। मीडिया में भी आप के गांव के करोना ग्रस्त होने का समाचार, गत दिनों अखबार की सुर्खियों में था, वहां तो जिला प्रशासन द्वारा पूरे गांव को सील करते हुए उसे रेड जोन में कन्वर्ट कर दिया गया था। किसी बाहरी व्यक्तियों को बिना आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट के गांव में घुसने से रोक भी लगा दिया गया था।

वैसे भी करोना का कहर, आज कल हर घर, हर परिवार एवं देश विदेश में सर्वत्र व्याप्त हो चला है।
वर्मा जी, आप १० दिनों से पीड़ित थे ,तो आप गांव वालों के कहने से व अपने से कुछ तो कारोना का देसी इलाज कर रहे होंगे, जरा बताएं ? आप क्या क्या ले रहे थे, इन दिनों, डॉक्टर अजय ने वर्मा जी से पूछा…!
वर्मा जी ने डॉक्टर साहब को अपनी दिनचर्या बताते हुए कहा कि डाक साब,
मैं सुबह शाम गुनगुना पानी ले रहा हूँ।
पानी में नीलगिरी की पत्तियां डालकर उसका भाप का सेवन करता हूँ।
तुलसी अदरक काली मिर्च का काढ़ा पी रहा हूँ।
मगरेल का चूर्ण शहद के साथ प्रयोग कर रहा हूँ।
चिरायता का काढ़ा पी रहा हूँ।
सुबह शाम नींबू पर काली मिर्च का पाउडर डालकर उसे गरम कर चूस रहा हूँ।
शीतोपोलादी का चूर्ण ०२,०२ ग्राम सुबह शाम शहद के साथ सेवन कर रहा हूँ।
पतंजलि की स्वशारवटी और अनु तेल का प्रयोग कर रहा हूँ।
अखरोट,बादाम,गिरी,मुनक्का, छोहड़ा का नियमित सेवन कर रहा हूँ।
खजूर को भी उपयोग में ले रहा हूं।इससे भी लोग कहते है की रोग प्रतिरोधक शक्ति का विकास होता है।
उर्द, चना, को अंकुरित कर उसका नियमित सेवन कर रहा हूँ… डॉक्टर साहेब।
गिलोय वटी को सुबह शाम बुजुर्गों के कहने पर ले रहा हूँ।
फलों में कीवी का सेवन करता हूं। संतरे का जूस पी रहा हूँ।
जोसंदा का भी प्रयोग करता हूँ।

शाम को दूध लेता हूं डॉक्टर साहब, परंतु उसमे हल्दी डालकर, हमारे पड़ोसी भैया लाल कहते है कि नियमित दूध में हल्दी लेने से रोगों से लड़ने की शक्ति का विकास होता है। कोई भी रोग पास नही फटकता।
गले की खराश ठीक करने हेतु” स्ट्रेपसिल” मार्केट से ले आया हूं, डॉक्टर साहब और उसे बच्चो की टाफी की तरह दिन में तीन बार चुभलाता हूं, इससे गले का शूल व गले को आराम मिलता है डॉक्टर साहेब।
भोजन में स्वाद व गंध के लिए विटामिन सी की गोलियों का सेवन नियमित कर रहा हूँ। यह गोली खाना खाने के बाद लेता हूँ डॉक्टर साहेब।

हाँ एलोपैथ के डॉक्टर साहब की सलाह पर ५०० एमजी इरोथ्रो मायिसिन दिन में एक बार व ६५० एमजी पैरासिटोमोल बुखार आने पर लेता हूँ।

आइवर मैट्रिन १२ एमजी की एक टिकिया रात में खाना खाने के ०२ घंटे बाद लेता हूं। तीन दिन लगातार लेकर मैं इसे छोड़ दिया हूँ।

इसके अलावा डॉक्टर साहब के निर्देशानुसार कैलेशियम की कमी पूरी करने हेतु विटामिन डी ३ की ६०००० यूनिट वाली दवा भी सप्ताह में एक बार ले रहा हूँ।

वर्मा जी! ने अपने दवाओं की फेहरिस्त, बताते हुए डॉक्टर साहब से पूछा कि कुछ आप भी होम्योपैथी में दवा सुझायेगे तो उसे भी यूज़ करुँगा।

डॉक्टर साहेब अपने माथे पर बल देते हुए वर्मा जी को दो दवाएं लिखी और कहा कि आप इनका भी सेवन करते रहिएगा। इससे नुकसान कोई नही होगा बल्कि फायदा ही होगा।

आर्सेनिक अलबम ३०, व ब्रायोनिया अल्वा ३० की ०४- ०४ गोली सुबह दोपहर शाम सेवन करिएगा, इससे आप पूर्णतः सर्दी जुकाम बुखार से मुक्त हो जायेंगे।

कुछ और तो नही लेना है, डॉक्टर साहेब! नही। तो मैं चलूं, लेकिन हां वर्मा जी आप नियमित योग या प्राणायाम जरूर करिएगा, रोज टहलना भी जारी रखिएगा। योग व प्राणायाम से सांसों में स्थिरता आती है, स्वशन तंत्र मजबूत होता है। वैसे तो तमाम तरह के योग व प्राणायाम प्रचलित है परंतु उनमें से भस्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम विलोम, भ्रामरी व उदगीत अवस्य करना जरूरी है, इससे आप के ऑक्सीजन का सेचुरेशन ठीक रहेगा।

हां, अंत में, मैं आप को जाते जाते एक सुझाव और भी दूंगा कि आप एक पल्स ऑक्सीमीटर व एक थर्मामीटर अच्छी कंपनी का अवस्य खरीद कर रख लीजिएगा और उससे प्रतिदिन अपने ऑक्सीजन का लेवल चेक करते रहिएगा। यदि 94 प्रतिशत से कम ऑक्सीजन सेचुरेशन, पल्स ऑक्सीमीटर बतावें, तो आप हमसे संपर्क में रहिएगा और थर्मामीटर से प्रतिदिन अपना टेंपरेचर नापते रहिएगा, यदि 98.6 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर शरीर का तापमान पहुंचे, तो आप मेरे क्लिनिक के टच में रहिएगा। ईश्वर ने चाहा तो आप 04 से 05 दिनों में ठीक हो जायेंगे।

जब आप की तबियत ठीक हो जाएगी तो वैक्सीनेशन कराना मत भूलिएगा, कौन सी वैक्सीन लगवायेंगे डॉक्टर साहब, वैसे तो इन दिनों कई वैक्सीन मार्केट में आ चुकी है जैसे- कोविशील्ड, कोवैसिन, मेडोर्ना, स्पुतनिक… इत्यादि। आप इनमे से कोई, जो डॉक्टर उचित बताए लगवाना न भूलिएगा। तब तक समुदाय में हर्ड इम्यूनिटी आ जायेगी, तब आप क्या, आप का गांव भी करोना से मुक्त हो जायेगा, हां अंत में, मैं आप सभी को एक डॉक्टर होने के नाते यह जरूरी सलाह दूंगा कि वैक्सीनेशन के 01 वर्ष बाद बूस्टर डोज ले लेने से करोना जैसी महामारी से लड़ने की शक्ति हमसभी के शरीर में पैदा हो जाएगी, जिससे कोई भी बाहरी जीवाणु, विषाणु, वायरस का धावा बेकार हो जाता है और व्यक्ति लगभग प्रत्येक रोग से लड़ने हेतु सक्षम हो जाता है।

: डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा


कहानीकार पूर्व जिला विकास अधिकारी हैं।
सुंदरपुर, वाराणसी में रहते हैं।