प्रेम रोग देकर फना हो गया दिवाना
अनिवार्य प्रश्न । संवाद
उन्होंने कुल 92 फिल्मों में किया था काम
खुल्लम खुल्ला शीर्षक से लिखी पुस्तक
उन्होंने अपने निजी व सिने संसार से उठा दिया था परदा
उन्हें अस्थिमेरु कैंसर जिसे बोन मैरो कैंसर कहते हैं हुआ था।
वह कुल 67 साल की जिंदगी ही बिता पाए।
मुम्बई। लाकडाउन का समय फिल्म जगत के लिए निश्चित ही बहुत दर्दनाक रहा है। आज तड़के आई सूचना गमगीन कर देने वाली है। अपने बाबी ऋषि कपूर विदा हो गए। फिल्म इंडस्ट्री के महान कलाकार ऋषि कपूर गुरुवार को 67 वर्ष की अपनी जिंदगी जी कर इस प्रेम भरी दुनिया को अलविदा कह गए। कपूर परिवार में उनके भाई रणधीर कपूर ने ऋषि कपूर के निधन की सूचना दी। वह मुंबई के एचएन रिलायंस अस्पताल में बुधवार से ही भर्ती थे।
उल्लेखनीय है कि इरफान खान की तरह ही ऋषि कपूर को भी कैंसर था। आज सुबह भारतीय सिने जगत के बड़े सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इसकी सबसे पहले पुष्टि की और अपने फालोअर्स से ऋषि कपूर के रुखसत होने की जानकारी साझा की। कपूर परिवार की ओर से जारी एक संदेश में बताया गया कि गुरुवार को सुबह 8ः45 बजे ऋषि कपूर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वह पिछले 2 साल से ल्यूकेमिया नामक बड़ी बीमारी से जूझ रहे थे। इरफान खान की तरह ही वह भी विदेश तक जाकर इलाज करवा आये थे। वह बहुत खुशदिल इंसान थे। और सबसे मिल जुल कर जिंदगी को उत्सव की तरह जीना जानते थे। बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर के बेटे ऋषि कपूर ने भारतीय फिल्म जगत में हिन्दी सिने वल्र्ड को बहुत बड़ा योगदान दिया है। इन्होंने अनेक हिन्दी फिल्मों में काम किया। जिसमें कुछ फिल्में युगीन हैं। जिसमें प्रेम रोग, हीना, ओम शांति ओम, सागर, कर्ज जैसी कई बड़ी फिल्में थीं। बॉलीवुड की सबसे मशहूर व बड़ी फैमिली कपूर खानदान में ऋषि का जन्म 4 सितंबर को 1952 में हुआ। वह कुल 67 साल की जिंदगी ही बिता पाए।
उनकी यादगार फिल्मों में 102 नॉट आउट, द बॉडी, मेरा नाम जोकर, मंटो, मुल्क, कपूर एंड संस, सनम रे, ऑल इज वेल, बेवकूफियां, शुद्ध देसी रोमांस, बेशर्म, दीदी, औरंगजेब, चश्मे बद्दूर, अग्निपथ, स्टूडेंट ऑफ द ईयर, हाउसफुल 2, जब तक है जान, टेल मी ओ खुदा, पटियाला हाउस, सदियां, दो दूनी चार, लक बाय चांस, दिल्ली सिक्स, लव आज कल, कल किसने देखा, हल्ला बोल, थोड़ा प्यार थोड़ा मैजिक, नमस्ते लंदन, फना, हम तुम, तहजीब, कुछ तो है, यह है जलवा, जय हिंद, राजू चाचा, कौन सच्चा कौन झूठा, प्रेम ग्रंथ, दरार, हम दोनों, साजन की बाहों में, याराना, इना मीना डीका, मोहब्बत की आरजू, पहला पहला प्यार, गुरुदेव, घर की इज्जत, इज्जत की रोटी, साधना, दामिनी, दीवाना, श्रीमान आशिक, साहिबां, बोल राधा बोल, घर परिवार, अजूबा, अमीरी गरीबी, बंजारन, आजाद देश के गुलाम, चांदनी, बड़े घर की बेटी, हथियार, हमारा खानदान, घर आना, घर घर की कहानी, हवालात, नगीना, खुदगर्ज, सिंदूर, सितमगर, इश्क नहीं आसां, कूली, बड़े दिलवाला, ए वादा रहा, जमाने को दिखाना है, दो प्रेमी, धन दौलत, सरगम, झूठा कहीं का, फूल खिले हैं गुलशन गुलशन, पति पत्नी और वो, नया दौर, अमर अकबर एंथोनी, चला मुरारी हीरो बनने, लैला मजनू, बारूद, कभी-कभी, रफूचक्कर, राजा, जहरीला इंसान, सलाम मेमशाब एवं यादों की बारात जैसी अनेक मशहूर फिल्में गिनी जाती हैं।
ऋषि कपूर फिल्म निर्देशक, आवाज आर्टिस्ट एवं अभिनेता के सभी रूप में सफल रहे। बॉबी राज कपूर के पुत्र और पृथ्वीराज कपूर के पौत्र थे। उन्होंने कैंपियन स्कूल मुंबई और मेयो कॉलेज अजमेर में अपने भाइयों के साथ ही अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा प्राप्त की। उनके दो भाई रणधीर कपूर और राजीव कपूर थे। शशि कपूर उनके चाचा थे और उनके दूसरे चाचा शम्मी कपूर कपूर थे। उनकी दो बहने हैं जिनका नाम रितु नंदा व रिमा जैन है। उनके परिवार में अभी भी उनकी पत्नी नीतू सिंह व उनके बेटे रणबीर कपूर मौजूद हैं। अभिनेत्री नीतू सिंह से बाबी की शादी 22 जनवरी 1980 को हुई। 2018 में ऋषि कपूर के कैंसर से ग्रस्त होने की जानकारी मिली। उन्हें अस्थिमेरु कैंसर जिसे बोन मैरो कैंसर कहते हैं हुआ था।
अभी वे अपनी एक फिल्म की शूटिंग में सक्रिय थे जिसका नाम है शर्मा जी नमकीन। ऋषि कपूर को फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिल चुका है। और बाबी के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला था। बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन अवॉर्ड, स्पेशल अवॉर्ड और नेशनल फिल्म अवार्ड उनको मेरा नाम जोकर फिल्म के लिए मिल चुका था। ऋषि ने लगभग कुल 92 फिल्मों में काम किया था। कपूर एंड संस फिल्म में उनकी भूमिका के लिए उन्होंने 2017 का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता था। कुछ दिनों पहले उन्होंने एक किताब लिखी थी। जिसमें उन्होंने बहुत सारे पारिवारिक और सामाजिक विषयों पर खुल्लम-खुल्ला अपनी बात रखी थी। इसमें उन्होंने अपने पिता राज कपूर के नाजायज संबंधों का भी खुलासा किया साथ ही बडे़ अभिनेता अमिताभ बच्चन पर भी वे कई आरोप लगाए थे। जिसमें उन्होंने कहा था कि अमिताभ ने कभी अपने साथ द्वितीय प्रमुख भूमिका में रहे किसी भी अभिनेता या कलाकार को कभी क्रेडिट नहीं लेने दिया। और ना ही वे किसीे सेकंड किरदार को कभी महत्व देते दिखाई दिए। खुल्लम खुल्ला शीर्षक से लिखी पुस्तक में उन्होंने अपने निजी व सिने संसार के कई परदा को उठा दिया था। यह किताब आज भी पाठकों के लिए आनलाइन बिकती है।
ऋषि कपूर के परिवार ने एक अपील जारी कर प्रशंसकों से कहा है कि देश में लाकडाउन है। कष्ट उठाकर अपने सितारे के लिए भीड़ इकट्ठा ना करें तो ज्यादा ठीक होगा। कानून का आदर करें। देश संकट में है और हम सभी का परिवार भी। ऋषि का अंतिम संस्कार मुम्बई के चन्दनवाड़ी में होगा। वे अन्तिम समय तक बीमारी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिये और अस्पताल के कर्मचारियों को हंसाते रहे। उनके ऐसे छोड़ जाने का दुख सारे संसार में दौड़ कर सबको बेसुध कर दिया है।
आज जब संसार ने एक सागर जैसे दिल वाले अभिनेता को खो दिया है तब यही कहना है कि हम तुम्हें कल भी प्यार करते थे, हम तुम्हें अब प्यार करते हैं, हम तुम्हें कल भी प्यार करते रहेंगे…