राष्ट्रीय कृषि संहिता : एक विश्लेषण

अनिवार्य प्रश्न। फीचर डेस्क। भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। देश की विशाल जनसंख्या को भोजन प्रदान करने के साथ-साथ, यह लाखों लोगों को रोजगार भी प्रदान … Read More

अंधेर नगरी, चौपट प्रशासन – एक सामाजिक रेखांकन

बेसमेंट, मीडिया रिपोर्ट, और सरकारी आदेश पर एक सामाजिक रेखांकन प्रस्तुत कर रहे हैं वरिष्ठ लेखक पं0 छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ गत दिनों हुई बारिश के बाद दिल्ली में एक कोचिंग … Read More

कौन है सदगुरु?-डॉक्टर डी. आर. विश्वकर्मा

गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर एक चिंतन भारत की गणना एक ऋषि प्रधान देश में होती है। यहाँ की पावन धरा पर अनगिनत संत, महात्माओं, गुरुओं ने समय समय … Read More

वर्तमान खराब सामाजिक स्थिति का जिम्मेदार कौन है ? – डॉ. राकेश कुमार

स्वास्थ्य आलेख जब हमारे देश में मुसलमान आए तो उन्होंने धर्म परिवर्तन कराया। धर्म परिवर्तन के लिए उनकी शर्त थी कलमा पढ़ो और मांस खाओ। उस समय हमारे सभी पूर्वज … Read More

ढोंगी तीर्थ पुरोहितों से मुक्ति के लिए चीखते तीर्थ स्थल : छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’

आलेख। पूरे भारत में कुछ एक तीर्थ स्थानों को छोड़कर लगभग सभी प्रदेशों के सभी तीर्थ स्थानों पर 80 प्रतिशत तीर्थ पुरोहितों या कहें कथित पंडितों द्वारा जो मायाजाल फैलाया … Read More

इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म का अंत या अल्पविराम? – वीरेंद्र बहादुर सिंह

दिल्ली में एक पुस्तक के लोकार्पण के दौरान भारत के मुख्य न्यायमूर्ति एन.वी.रमण ने अपने भाषण के दौरान कहा था कि ‘देश में इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म का अंत आ गया है। … Read More

आजादी में योगदान और बलिदान देनेवाली विरांगनाओं का इतिहास : अस्मिता प्रशांत ‘पुष्पांजलि’

हम जब भी उंचे निल गगन में शान से लहराते तिरंगे को राष्ट्रगीत के साथ सलामी देते हैं, तो अपनी छाती को गर्व से और भी दो इंच फुला हुआ … Read More

मदिरापान के होते हैं व्यापक दुष्परिणाम

मदिरापान के होते हैं व्यापक दुष्परिणाम अपने वैज्ञानिक व तर्कपूर्ण विवेचना से शराब सेवन करने वालों के जीवन पर पड़ने वाले भयानक नकारात्मक प्रभावों का सुन्दर शाब्दिक रेखांकन कर रहे … Read More

महात्मा गांधी और नया भारत: सलिल सरोज

महात्मा गांधी की भूमिका और प्रभाव को निर्विवाद मानते हुए उनके विचारों को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बेहत प्रासंगिक व अचूक मान रहे हैं वरिष्ठ लेखक व कवि सलिल सरोज। न्यू … Read More

आलेख: बाजारवाद की हमजोली बना दी गई सुन्दरता: सलिल सरोज

भौतिक युग में आज तक अपरिभाषित सुन्दरता, उसमें भटके स्त्री समाज और उसपर सौन्दर्य प्रतियोगिताओं के षणयन्त्र से आधिपत्य किए पूँजीवाद के क्षद्म की बेमिशाल भाव परिक्रमा कर रहे हैं … Read More