लघुकथा – कोरोना का डर : नीरज त्यागी ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )
कोरोना का डर : नीरज त्यागी
पिछले कुछ दिनों से हर जगह कोरोना के बारे में लगातार खबरे चल रही हंै। अनिल इन बातों से काफी परेशान है। हर समय उसके मन में एक व्याकुलता सी बनी हुई है। अनिल एक पचास वर्षीय व्यक्ति है और हार्ट पेशेंट भी है। लगातार इन खबरों से एक अनजान घबराहट सी उसके मन मे बन गयी है।
21 दिन के लॉकडाउन के कारण वह घर से कहीं निकल भी नहीं पा रहा था। लेकिन उसके इर्द गिर्द कोरोना की खबरे लगातार चल रही थीं। एक ह्रदय रोगी होने के कारण उसे इन बातों से काफी डर लगा रह रहा था। घर के अंदर भी हर स्थिति में उसे इन बातों को सुनना ही पड़ रहा था।
शाम को अपने मन को खुश करने के लिए वह पार्क में जाकर बैठा। घर के पास ही पार्क था इसलिए उसे इसमें बैठे में कोई ज्यादा आपत्ति नहीं लगी। लेकिन वहाँ जितने भी लोग उसके आसपास में बैठे हुए थे वो सभी कोरोना से मरने वाले लोगों के बारे में ही बातें करते रहे। यहां आकर तो उसका मन खुश होने की जगह और भारी हो गया था।
सारी बातों से थक कर दोबारा वह अपने घर चला आया। घर पर आने के बाद वह टीवी पर अपने मन पसन्द की एक मूवी लगाया। तभी उसके बेटे ने कहा पापा कहीं समाचार लगा कर देख जान लो। समाचार लगाने के बाद फिर से वही खबरें उसे परेशान करने लगीं। अन्त में परेशान होकर अनिल अपने कमरे में पहुंचा और कमरे में जाने के बाद लेट गया। वह मन ही मन काफी परेशान था।
अनिल के मन मे कोरोना का खौफ कुछ इस कदर हो गया था कि उसे बहुत देर तक तो नींद ही नहीं आई। फिर ना जाने कब यकायक उसकी आँख लग गयी। और वो सो गया। सुबह जब अनिल काफी देर तक नहीं जगा तो उसका बेटा उसे जगाने के लिए उसके कमरे में प्रवेश किया। उसके बेटे ने उसे उठाने की कोशिश की पर वह नहीं उठा। तब अनिल के बेटे को पता चला कि अनिल अपना जीवन खो चुका है।
कोरोना से जो होना था वह तो बाद की बात है लेकिन बार-बार उन्हीं बातों को सुनते-सुनते अनिल के दिल पर इतना जोर पड़ा कि शायद रात को ही उसने अपने प्राण त्याग दिए। उसका दिल शांत हो गया, अब उस पर किसी समाचार का कोई असर नहीं हो रहा था।
यह कहानी काल्पनिक है। ’कहानी का सार सिर्फ इतना है कि इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रोगियों के सामने कोरोना वायरस से होने वाली परेशानियों के बारे में हर समय जिक्र नहीं करते रहना है। कहीं ऐसा ना हो कि लोगों की सामान्य समाचार वाली बातें किसी के लिए खतरनाक बन जाएं। कृपया हृदयऔर श्वास के रोगियों से इस तरीके की बातें और चर्चा को न करंे।’