आलेख: समाज में अच्छाई उस समय भी थी, सवर्ण विरोध प्रेमचंद की कुंठा थी
आलेख: प्रेमचंद की बहुतायत रचना में सवर्ण वर्ग का विरोध संवेदनशीलता की ओट में विस्तारित होते दिखाई देता है। हालांकि उनके रचना समय-समय में सवर्णों में अच्छे लोग भी थे। … Read More
आलेख: प्रेमचंद की बहुतायत रचना में सवर्ण वर्ग का विरोध संवेदनशीलता की ओट में विस्तारित होते दिखाई देता है। हालांकि उनके रचना समय-समय में सवर्णों में अच्छे लोग भी थे। … Read More
आलेख: रविन्द्र कुमार प्रजापति कॉफी, एक अन्य सामान्य वसा है जो कि लगभग सभी लोगों के लिए पसंदीदा है। इसका स्वाद, उसकी खुशबू, और उसका तेजी से सक्रिय करने वाला … Read More
आलेख: चिकित्सा व्यवस्था में व्याप्त अव्यवस्था, भ्रष्टाचार और परिलक्षित आम आदमी के शोषण को आधार बनाकर उसकी समीक्षा करते हूए अपात्रों के हाथों से छीनकर उसके नियमन की अनिवार्यता की … Read More
आलेख 1799 में काशी के बाबू जगत सिंह के नेतृत्व में हुई थी अग्रेजों के खिलाफ पहली जन क्रन्ति आज भी ब्रिटिश लाइब्रेरी के दस्तावेजों दर्ज है यह जनक्रान्ति द … Read More
समृद्ध साहित्यिक अतीत से उद्भूत नवीन गीतों का कवि ने किया है मनोहारी अलंकरण – प्रकाशक पण्डित छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ हिंदी साहित्य के लिये ‘गीत रसाल’ रस और छंदों … Read More
स्तम्भ: ‘डायरी लिखनी है’: भाग एक रोज रात को सोने से पहले डायरी लिखने की मेरी पुरानी आदत है। कभी भूल भी जाता हूँ तो धर्मपत्नी याद दिला देती हैं। … Read More
स्वास्थ्य आलेख जब हमारे देश में मुसलमान आए तो उन्होंने धर्म परिवर्तन कराया। धर्म परिवर्तन के लिए उनकी शर्त थी कलमा पढ़ो और मांस खाओ। उस समय हमारे सभी पूर्वज … Read More
उद्गार आलेख/दृष्टिकोण देश की ऊर्जा संबंधी बढ़ती मांगों को पूरा करने और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को बनाए रखने के बीच एक नाजुक संतुलन बिठाते हुए, कोयला क्षेत्र टिकाऊ … Read More
अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद। कुछ भरकर कुछ रीत गया है धरती पर, जाने क्या-क्या बीत गया है धरती पर: कुण्ठित उद्गार की 91 वीं कवि गोष्ठी संपन्न वाराणसी। साल 2023 … Read More
मित्रों, गरीबी किसी का मान नहीं रखती, यानी गरीबी एक बहुत बड़ा अभिशाप है। गरीब व्यक्ति सदैव अभावों में अपना जीवन गुजारता है,उसके बच्चे अच्छी शिक्षा नही ग्रहण कर पाते, … Read More