If you are poor, how to improve your standard of living?

यदि आप गरीब(अभावग्रस्त) हैं, तो अपना जीवन स्तर कैसे सुधारें? – डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा

मित्रों, गरीबी किसी का मान नहीं रखती, यानी गरीबी एक बहुत बड़ा अभिशाप है। गरीब व्यक्ति सदैव अभावों में अपना जीवन गुजारता है,उसके बच्चे अच्छी शिक्षा नही ग्रहण कर पाते, घर के सदस्यों का स्वास्थ्य कुपोषण के कारण खराब रहता है। आप इस लेख में बताए गए उपायों से कुछ हद तक आप अपने जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार कर अपने जीवन की गाड़ी को सुखमय संचालित करने में सहायता प्राप्त कर सकते हैं। व्यक्ति के जीवन की कुछ मूलभूत आवश्यकताएं होती है, जिसमें रोटी कपड़ा और मकान की गणना होती है।
रोटी प्राप्त करने हेतु व्यक्ति को स्वस्थ्य रहना जरूरी है तभी तो कोई कार्य आप अच्छे से संपादित कर पाएंगे। कहते भी हैं कि पहला सुख निरोगी काया, इसको प्राप्त करने हेतु आप को सूर्याेदय से पहले जगकर खुले मैदान या बगीचों में टहलने की आदत डालनी पड़ेगी, आप स्वयं महसूस करना प्रारंभ कर देंगें कि आप में ताजगी आने लगेगी, मनीषियों ने सुबह की हवा को एक प्रकार की दवा ही माना है। आप अपने घर के बच्चों को सुबह जगाने की आदत डालें।


Dr.D.R.-Wishwakarma-Ex.CDO
Dr. D. R. Wishwakarma Ex. CDO

हां बात हो रही थी रोटी की! यदि घर में केवल रोटी का इंतजाम है तो, उसके साथ कोई चटनी, जैसे गरमी में पुदीने की, जाड़े में आँवले की, या धनिए की। अन्य मौसम में पीसकर उसे खा सकते हैं, दालें प्रोटीन की अच्छी स्रोत मानी जाती हैं, प्रोटीन शरीर में टूटफुट की मरम्मत करता है, यदि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो सप्ताह में एकाध दिन दाल बनाकर सभी सदस्य उसका सेवन करें, ताकि सभी का पोषण होता रहे।
खाने के बाद लोग पानी पीते हैं, तुरंत पानी नहीं पीना चाहिए, ‘भोजनांते विषम वारी’ इससे भोजन ठीक से नही पचता, खाने के लगभग एक घंटे के बाद ही पानी पिए, इससे आपको गैस आदि नहीं बनेगी, पेट ठीक रहेगा। यदि हम सभी केवल पानी शुद्ध पीना शुरू कर दें तो लगभग 70 प्रतिशत बीमारियाँ जो जल जनित होती है वह आप के घर के सदस्यों में नही होंगी। यदि कोई वर्ष भर गुनगुने पानी पीने की आदत डाल ले तो विश्वास करिए ऐसे व्यक्ति की कई बीमारियाँ अपने आप दूर होने लगती है। सुबह शौच जाने से पहले दो गिलास गुनगुना पानी पीने की अवश्य आदत डालनी चाहिए इससे पेट साफ होता है। खाना सदैव ताजा ही खाए। आप देखेंगे कि आप की गाढ़ी कमाई का 60 प्रतिशत जो दवा और बीमारी पर खर्च हो जाया करता था वह बचने लगेगा।
दूसरी चीज साफ सफाई रखनी चाहिए, गरीबी में स्वच्छता बाधक नहीं है, कोई यह कहे कि हम तो गरीब हैं कैसे स्वच्छ रहें यह गलत है, घर में साफ सफाई रखने से रोगों की नानी समझी जाने वाली मक्खियों का प्रवेश नहीं होता और कहते भी है कि… जिसका स्वच्छ रहे घर बार। खुशियों का रहता अंबार।
मतलब घर में साफ सफाई, बच्चों को गंदे ड्रेस न पहनाएँ, उनके नाखून समय समय से काटते रहें, आप को बता दे कि नाखूनों के अंदर भी कई तरह के जीवाणु विषाणु अपना घर बनाते हैं और हमको बीमार करते हैं। एक सुई की नोक पर हजारों जीवाणु विषाणु रह सकते हैं। अपने कपड़े भी साफ करके पहने, इससे भी कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
बात रोटी कपड़ा की बहुत हद हो गई, अब आती है मकान की बात, आप के पास यदि मिट्टी का ही मकान है तो कोई बात नहीं, उसे साफ करते रहें स्वच्छता देवत्व के निकट होता है, जैसा की ऊपर की पंक्तियों में स्वच्छता के विषय में उद्धृत किया जा चुका है।
मकान यदि काफी जर्जर है या रहने लायक नही है तो, अपने विकास खंड कार्यालय से संपर्क कर आवास प्लस से अपना नाम दर्ज करावें, जिससे आप को प्रधान मंत्री आवास मिल सके। सबसे जरूरी जीविका के साधन का प्रबंध करना, यदि आप अकुशल श्रमिक का कार्य करना चाहते हैं तो मनरेगा में आप मजदूरी कर सकते हैं। यदि कोई पुस्तैनी काम करते हैं, जैसे लकड़ी, लोहे का कार्य तो, अंबेडकर प्रोत्साहन रोजगार योजना में आवेदन कर विकास खंड से 2 लाख से 5 लाख तक का ऋण लेकर अपनी दुकान खोल सकते हैं, या पहले से कोई आप की दुकान छोटी है तो उसको बढ़ा सकते हैं। रोजी रोजगार के लिए जिला उद्योग केंद्र, खादी ग्रामोद्योग, जिला पिछड़ा वित्त विकास निगम, या जिला पिछड़ा वर्ग अधिकारी या जिला समाज कल्याण अधिकारी से संपर्क कर सरकारी सहायता प्राप्त कर अपनी जीविका का स्थाई बंदोबस्त कर सकते हैं। इसमें विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, प्रधान मंत्री विश्वकर्मा योजना से भी आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आप अपनी पत्नी को भी गांव के स्वयं सहायता समूह से जोड़ सकते हैं, जिसमें गरीबी से निजात पाने हेतु सहायता मिल सकती है, जिसमें गाय-बकरी खरीदने हेतु भी समूह से ऋण मिलता है, इससे भी गरीबी दूर करने में मदद हो सकती है।
घर में यदि छोटे बच्चे हैं तो उनका पंजीकरण आंगन बाड़ी में अवश्य करा दें, जो पांच वर्ष से छोटे हों, उन्हें सरकार द्वारा पका पकाया भोजन मिलता है, कई तरह के पोषक आहार भी बच्चों को मिलतं है। बच्चों का समय समय से टीकाकरण भी होता है, बच्चों को सात जान लेवा बीमारियों से बचाव हेतु उनका टीकाकरण अवश्य करा दें, जिससे बच्चे सुरक्षित हो जाएँ। बच्चियों की पैदाइश पर मुख्यमंत्री बालिका समृद्धि योजना में दो बालिकाओं तक सहायता मिलती है, और बच्चियों की शिक्षा का प्रबंध भी सरकार द्वारा किया जाता है।
घर में यदि कोई गर्भवती महिला हो तो उसका भी पंजीकरण वहा करा दें, मातृत्व वंदन योजना में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी पंजीकरण होता है, जिसमें गर्भवती माताओं को कई सुविधाएं मिलती हैं। उन्हें वित्तीय सहायता भी दी जाती है। आप अपने परिवार के लिए आयुष्मान हैल्थ कार्ड भी बनवा लें, ताकि आप का कोई सदस्य बीमार होगा तो उसका 5 लाख तक इलाज मुफ्त इलाज हो जायेगा। घर में यदि कोई बच्ची हो जो किशोरी हो और जिसकी उम्र 13 वर्ष के ऊपर हो, ऐसी किशोरियों के लिए भी कई सहायता मिलती है, और उनके स्वास्थ्य की देखभाल भी आंगनबाड़ी केंद्र से होती है। जैसे कोई बेटी दुबली पतली है, उसे खून की कमी हो गई है, तो वहाँ केंद्र पर आयरन फोलिक एसिड की गोली भी दी जाती है जिससे कमजोरी दूर हो जाती है। वहाँ कुछ पोषक आहार भी दिया जाता है। ध्यान रहे की आयरन फोलिक एसिड की गोली दूध से न लें इससे पेट दर्द की शिकायत होती है, इसे केवल पानी से लेना चाहिए, गर्भवती माताएँ भी इसका ध्यान दें।
घर में कोई वृद्ध माता पिता हो, कोई दिवांग हो, कोई विधवा हो तो उनके लिए सरकार से 1000 रुपए मासिक पेंशन मिलती है, आवेदन जिला समाज कल्याण अधिकारी को ऑन लाइन करना होता है। विधवा पेंशन जिला प्रोबेशन अधिकारी के यहाँ से जारी होती है।
हम सभी का जीवन अच्छा गुजरे, प्रति दिन स्नान करने के बाद आदि देव, सृष्टि के रचयिता भगवान का पूजन अवश्य करें, इससे आप के घर का वातावरण शुद्ध होगा बच्चों में अच्छे संस्कार पड़ेंगे और आप के घर परिवार पर भगवान की विशेष अनुकंपा होगी।
एक बात आप अवश्य ध्यान दें कि पढाई लिखाई से ही व्यक्ति का विकास होता है, इसीलिए शिक्षा को व्यक्ति का तीसरा नेत्र माना गया है, अज्ञानता, गरीबी ज्यातर अशिक्षित लोगों के पास होती है। अतः अपने बच्चों को पेट काटकर भी पढ़ाना पड़े तो उन्हें पढ़ाएँ, अच्छी शिक्षा से व्यक्ति को सम्मान मिलता है, जीवन व काम करने की अंतर्दृष्टि मिलती है, उसका कुल प्रकाशित होता है।
‘योग्यता प्रतिष्ठित होती है, प्रतिभा को मिलता मान सदा।
सत्कर्म समादर पाता है,गुण का होता सम्मान सदा।।’
आप अपना व्यवहार सबके साथ अच्छा रखें, जीवन में प्रगति के लिए शांति जरूरी है, अतः लड़ाई झगड़े से दूर रहें। मुकदमे आदि से भी दूरी बनाएँ, अन्यथा यह दोनों पक्षों का सुख छीन लेता है।
एक चीज और बताना चाहूंगा कि शाकाहारी बने, क्योंकि मांसाहार करने से वृत्तियां कलुषित हो जाती हैं, व्यक्ति सात्विक नहीं हो पाता। मांसाहार से तमाम रोग हो जाते हैं, हृदयाघात का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। लोग गलत कहते हैं कि मांस खाने से ताकत आती है, मांस खाने से व्यक्ति सात्विकता खो देता है। आप देखें तो पाएंगे कि पृथ्वी पर जितने बलशाली जानवर हैं वे शाकाहारी ही हैं, जैसे हाथी व ह्वेल। वैसे भी साथियों जिन जीवधारियों की आंतें लंबी होती हैं उनके पूर्वज शाकाहारी होते हैं जैसे मनुष्य की आंतें 32 फीट तक की होती है। मांसाहारी जंतुओं की आंतें छोटी होती है। मांस-मदिरा, बीड़ी-सिगरेट, पान-गुटका मसाला इत्यादि का सेवन कदापि न करें। इससे निश्चित मानिए आप का जीवन बर्बाद होता है। गुटका खाने से मुंह का कैंसर तेजी से फैल रहा है। आप इसके सेवन से बचें और दूसरों को भी बचाएँ। बच्चों से कोई भी मादक पदार्थ बाजार से न मंगवाए, अन्यथा उनमें बचपन से ही गंदी आदतें पड़ने का खतरा बढ़ सकता है। बच्चों की संगत पर विशेष ध्यान दे, क्योंकि कहते हैं, कि ‘संगत से गुण होत है, संगत से गुण जात।’
मां बच्चों की प्रथम पाठशाला होती है, यदि मां चाह ले तो उसका बच्चा चोर, बदमाश हो ही नहीं सकता। माताओं को कभी अपने बच्चों को डराना नहीं चाहिए। जैसे शिवा जी की मां ने उन्हें बचपन से ही साहसी बनाया।
यदि आप का बच्चा दांत कीटकिटता हो, तो मानिए कि उसके पेट में कीड़ी है, उसे आंगनबाड़ी केंद्र पर कीड़ी की दवा पिलाई जाती है उसे पिलवा दें, वर्ष में दो बार एडबेंडाजोल की टिकिया बच्चों को दी जाती है, जिसे डी वार्मिंग प्रोग्राम कहा जाता है। हम लोग भी शाक भांजी खाते रहते हैं, हम लोगों को भी साल में दो बार एडबेडाजोल की टिकिया खा लेनी चाहिए, जिससे पेट के कृमि मर जाते हैं, पेट का भारीपन समाप्त हो जाता है।
यदि आप का बच्चा रात में देख नहीं पाता तो समझें कि उसे विटामिनए की कमी है, उसे आंगन बाड़ी केंद्र से विटामिन ए की खुराक पिलवा दें। बच्चो में अच्छे संस्कार डालें, यही आप के भविष्य है। इन्हें आधुनिक नहीं संस्कारित बनाएँ। क्योंकि कहते हैं कि-
पूत कपूत तो क्यों धन सँचय। पूत सपूत तो क्यों धन संचौय।
अब थोड़ी गर्भवती माताओं का ख्याल करें, ऐसी माताओं को खून की कमी न होने दें। उन्हें गुड़ चना खिलाए, हरी शाक सब्जी भरपूर मात्रा में दें, दाल उन्हें नियमित दें। बथुए का साग, चने मटर की साग खिलाएँ।
यदि सेव का फल महंगा है तो सीजनल फल दें। नियमित जांच कारावें, आंगनबाड़ी केंद्र पर उनका रजिस्ट्रेशन करवा दें। उनके लिए सरकार की कई स्कीम चल रही है, उन्हें पोषाहार भी दिया जाता है। देखभाल भी होती है। एक बात और कि जब बच्चा पैदा हो तो मां का पहला गाढ़ा दूध जिसे कोलेस्ट्रम कहते हैं, उसे बच्चे को अवश्य पीला दे। कुछ माताएं उसे फेक देती हैं, यह कदापि न करें, यह ईश्वर द्वारा दिया गया अमृत है इसे जब बच्चा पी लेता है तो उसमे कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता आ जाती है। कुछ माताएं बच्चों को शहद चटाती हैं, याद रखें 06 माह तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध, और कुछ भी नहीं। जीवन में सादगी धारण करें। सादा जीवन उच्च विचार
रखें, जो हमारे महापुरुषों का भी यही कहना था। कर्मों की शुचिता पर ध्यान दें, इसलिए मित्रों, क्योंकि जैसी करनी वैसा फल, आज नहीं तो निश्चय कल।।
कर्म करने से पहले हम स्वतंत्र हैं, परंतु यदि कर्म कर दिया तो उसका फल अवश्य मिलेगा, यदि अच्छा होगा तो अच्छा, यदि बुरा होगा तो बुरा।
शास्त्रों में भी वर्णित है, अवश्यमेव भोगतव्यम, कृतम कर्मम शुभाशुभमम।


डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा

लेखक कई राज्य स्तरीय सम्मानों से विभूषित, वरिष्ठ साहित्यकार, मोटिवेशनल स्पीकर, राज्य स्तरीय चुनाव प्रशिक्षक, कई पुस्तकों के सृजनकर्ता, शिक्षाविद, आल इंडिया रेडियो के नियमित वार्ताकार अखिल भारतीय विश्वकर्मा ट्रस्ट वाराणसी के मुख्य मार्गदर्शक हैं।