कोयले रहित भूमि पर जीवन, एक इकोसिस्टम आधारित दृष्टिकोण

उद्गार आलेख/दृष्टिकोण देश की ऊर्जा संबंधी बढ़ती मांगों को पूरा करने और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को बनाए रखने के बीच एक नाजुक संतुलन बिठाते हुए, कोयला क्षेत्र टिकाऊ … Read More

पंडित छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’ द्वारा संपादित आठ पुस्तकों के लोकार्पण के साथ कवियों ने मनाया नववर्षोत्सव

अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद। कुछ भरकर कुछ रीत गया है धरती पर, जाने क्या-क्या बीत गया है धरती पर: कुण्ठित उद्गार की 91 वीं कवि गोष्ठी संपन्न वाराणसी। साल 2023 … Read More

‘माँ सरस्वती चालीसा’ एवं ‘धरणीसुता’ पुस्तक का लोकार्पण संपन्न

अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद। हनुमान चालीसा के बाद काशी ने दुनिया को दिया फिर एक ‘माँ सरस्वती चालीसा’ काशी से विश्व को मिला नया चालीसा वाराणसी। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित … Read More

यदि आप गरीब(अभावग्रस्त) हैं, तो अपना जीवन स्तर कैसे सुधारें? – डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा

मित्रों, गरीबी किसी का मान नहीं रखती, यानी गरीबी एक बहुत बड़ा अभिशाप है। गरीब व्यक्ति सदैव अभावों में अपना जीवन गुजारता है,उसके बच्चे अच्छी शिक्षा नही ग्रहण कर पाते, … Read More

अन्तिम प्यार : रवीन्द्रनाथ ठाकुर

(बंगाली कहानी का हिंदी अनुवाद) आर्ट स्कूल के प्रोफेसर मनमोहन बाबू घर पर बैठे मित्रों के साथ मनोरंजन कर रहे थे, ठीक उसी समय योगेश बाबू ने कमरे में प्रवेश … Read More

सबको वियोग में छोड़ गये वियोगी

अनिवार्य प्रश्न। ब्यूरो संवाद। उद्गार के वियोगी को दी गई भावभींनी विदाई टूट गई वियोगी, विरही एवं कुंठित की ख्यात जोड़ी कवि वियोगी वाराणसी की संस्था ‘उद्गार’ के लगभग 9 … Read More

बौराया बनारस, बेहोश प्रशासन : छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’

आलेख। बौराया बनारस, बेहोश प्रशासन : छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ के साथ अनिवार्य प्रश्न फीचर डेस्क। बनारस की शान अपने आप में अनोखी है। यहां का हर आदमी अपने अल्हड़ता के … Read More

ढोंगी तीर्थ पुरोहितों से मुक्ति के लिए चीखते तीर्थ स्थल : छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’

आलेख। पूरे भारत में कुछ एक तीर्थ स्थानों को छोड़कर लगभग सभी प्रदेशों के सभी तीर्थ स्थानों पर 80 प्रतिशत तीर्थ पुरोहितों या कहें कथित पंडितों द्वारा जो मायाजाल फैलाया … Read More

मोबाइल युग, कश्मकश में जिंदगी बस जीये जा रहे हैं लोग : पायल लक्ष्मी सोनी

आलेख समय बदल चुका है और हमने समय के साथ चलना सीख भी लिया है। समय के साथ बहुत से बदलावों को अपनाया और बहुत सी आदतों को छोड़ दिया … Read More

सैनिक स्कूल तिलैया – राष्ट्र निर्माण का अहम् भागीदार : “तिलैयन डायरी” से उद्धृत अंश

पुटुस से पटे हुए सड़क के दोनों किनारे। मुख्य दरवाजे पर बारिश से भीगा तोप। अंदर घुसते ही, बाईं तरफ छोटी-छोटी दकानें, जो एक बोर्डिंग स्कूल में रह रहे बच्चोँ … Read More