इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म का अंत या अल्पविराम? – वीरेंद्र बहादुर सिंह
दिल्ली में एक पुस्तक के लोकार्पण के दौरान भारत के मुख्य न्यायमूर्ति एन.वी.रमण ने अपने भाषण के दौरान कहा था कि ‘देश में इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म का अंत आ गया है। … Read More
दिल्ली में एक पुस्तक के लोकार्पण के दौरान भारत के मुख्य न्यायमूर्ति एन.वी.रमण ने अपने भाषण के दौरान कहा था कि ‘देश में इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म का अंत आ गया है। … Read More
हम जब भी उंचे निल गगन में शान से लहराते तिरंगे को राष्ट्रगीत के साथ सलामी देते हैं, तो अपनी छाती को गर्व से और भी दो इंच फुला हुआ … Read More
“एक बार जब आप पढ़ना सीख लेते हैं, तो हमेशा के लिए आजाद हो जाते हैं।” – फ्रेडरिक डगलस पुस्तकें आपको सोचने-समझने पर विवश करती है और मनुष्य को मनुष्य … Read More
अनिवार्य प्रश्न। संवाद हम सभी ने विगत दो लहरों में देखा है कि कोरोना बीमारी लईलाज है तथा इसके खतरे इतने ज्यादा हैं कि कुछ लोग काल कवलित हो जाते … Read More
वैद्य रोहित पाण्डेय महामारी अर्थात जनमार या जनपदोध्वंश समय-समय पर मानव सभ्यता की क्षति करती है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कोरोना वायरस का संक्रमण विकराल रूप लेकर महामारी ही बन चुका … Read More
मादक द्रव्यों के सामाजिक नुकसान विषय को केन्द्र में रखकर मादक द्रब्यों के सेवन के व्यापक नुकसान की पड़ताल कर रहे हैं वरिष्ठ लेखक सलिल सरोज युवा पीढ़ी में मादक … Read More
मदिरापान के होते हैं व्यापक दुष्परिणाम अपने वैज्ञानिक व तर्कपूर्ण विवेचना से शराब सेवन करने वालों के जीवन पर पड़ने वाले भयानक नकारात्मक प्रभावों का सुन्दर शाब्दिक रेखांकन कर रहे … Read More
महात्मा गांधी की भूमिका और प्रभाव को निर्विवाद मानते हुए उनके विचारों को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बेहत प्रासंगिक व अचूक मान रहे हैं वरिष्ठ लेखक व कवि सलिल सरोज। न्यू … Read More
असंगठित क्षेत्र के किसानों के जीवन में व्याप्त कठिनाइयां एवं उनके जीवन से जुड़ी चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए किसानों के प्रति भारतीय सरकारों की उदासीनता को रेखांकित कर रहे … Read More
धर्मपाल जी विख्यात चिंतक एवं गांधी विचारक हैं। प्रस्तुत है उनका लिखा एक आलेख… भारतीय मानस में सृष्टि के विकास के क्रम और उसमें मानवीय प्रयत्न और मानवीय ज्ञान-विज्ञान के … Read More